कामना का आवरण हटाकर प्रभु देते है दिव्य स्वरूप के दर्शन: दिव्‍य मोरारी बापू    

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि कामना और आवरण- जिस तरह शरीर को वस्त्र ढँकते हैं और सूर्य को बादल, उसी तरह संसार के सुखों की कामना का आवरण परमात्मा को ढँक देता है.  संसार में सर्वत्र विराजमान परमात्मा हम सबको दिखाई नहीं देते हैं.

जगत में ऐसी कोई जगह नहीं, जहाँ प्रभु विराजमान न हों, परन्तु संसार की कामनाओं का आवरण ऐसा घना है कि प्रभु के दर्शन नहीं होते हैं.

ऋषि मुनियों को तो प्रभु के दर्शन सर्वत्र होते हैं, किंतु सामान्य व्यक्ति तो कामनाओं का आवरण होने से प्रभु को प्राप्त नहीं कर सकता है.

जब किसी भक्त पर प्रभु कृपा करके दर्शन देना चाहते हैं तो कामना का आवरण हटाकर दिव्य स्वरूप के दर्शन देते हैं.

श्रीमद्भागवतमहापुराण में इस तरह कामना का आवरण हटाकर भक्तों को भगवान दिव्य स्वरूप के दर्शन प्रदान करने की लीला करते हैं, यही लीला भागवत में चीरहरण अथवा वस्त्रहरण लीला है.

वर्ष में एक-आध महीने के लिए तीर्थ सेवन करते हुए प्रभु का भजन करो.  सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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