Ghazipur: ”जन्मने और मरने की पीड़ा असहनीय होती है.“ तड़प-तड़प जीव जुलुम बुखारी, तपत खम्भ दुःख उपजै भारी. बुरे खोटे कर्म करने वाले जीवों को अग्नि से धधक-धधक कर लाल हो रहे खम्भों से चिपकाया जाता है. जीव रोता और चिल्लाता है, करोड़ो-मील तक रोने की आवाज जाती है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं. मौत की पीड़ा से बचना है तो सन्त महात्मा से रास्ता लेकर भजन कर लीजिए. यह शरीर, देवदुर्लभ तन, इसी काम के लिए दिया गया है.“
यह उद्गार हैं, जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज महाराज के, जो उन्होंने आज यहां से 12 कि.मी. दूर कोठवा बुजुर्गा गांव में आयोजित सत्संग समारोह में सत्संग सुनाते हुए व्यक्त किये. वे यहां अपनी 83 दिवसीय शाकाहार-नशामुक्ति जन-जागरण यात्रा के साथ गुरुवार को सायंकाल पहुंचे थे. उनके आगमन पर जयगुरुदेव झण्डे लहराकर बैण्डबाजों व पुष्प वर्षा से फूलों से सुसज्जित कलश दीपों द्वारा भावभीना स्वागत किया गया.
उन्होने कहा कि हमारे बाबा जयगुरुदेव महाराज ने आम इन्सानों के लिए आवाज लगाई है कि सभी लोग अपने-अपने ईमान, धर्म पर वापस आ जाओ. मानव-धर्म, मानव-कर्म, का पालन करो. आपस में सभी लोग प्रेम प्यार के साथ रहो. एक दूसरे की निःस्वार्थ भाव से सेवा, खिदमत मदद करो. शाकाहारी और नशामुक्त रहकर सन्तों, महात्माओं के पास जाओ, वह जो दया का प्रसाद दे दें, उसे लेकर अपने घर जाओ. मेहनत, ईमानदारी और सच्चाई से काम करो. बाल-बच्चों की सेवा के बाद घण्टे दो घण्टे समय निकालकर भगवान का सच्चा भजन करो, इससे तुम्हारी गृहस्थी में बरक्कत आयेगी. बीमारियां दूर होंगी, लड़ाई-झगड़े खत्म होंगे. दुनिया के कष्ट क्लेश बिना भगवान के भजन के जाने वाले नहीं हैं.
बाबा जयगुरुदेव के एक मात्र उत्तराधिकारी ने कहा कि परमात्मा के पास जाने का रास्ता सबके पास है. दोनों आँखों के मध्य भाग से पीछे की ओर अन्दर गया है. उससे मिलने का रास्ता एक है. ऐसा नहीं है कि हिन्दुओं के लिए अलग, मुसलमानों के लिए अलग और सिख-ईसाईयों के लिए अलग रास्ता है. जेसे हम पानी को चाहे जल कहो या नीर कहो, बोध में एक है. उसी तरह अपनी-अपनी भाषा में उसे ईश्वर कहो, अल्लाह खुदा कहो, गॉड या गुरु कहो. वह एक ही है. भाषा और लफ्जों के चक्कर में पड़कर हम लड़ाईयां करने लगे. ईर्ष्या-द्वेष करने लगे. अपने मानव जीवन के असली लक्ष्य से दूर हो गये. अब तो मानव समाज का कल्याण महात्माओं के द्वारा ही होगा.
उन्होंने कहा कि सन्त महात्मा त्रिकालदर्शी होते हैं. वह भूत, भविष्य और वर्तमान सब कुछ जानते हैं. उनकी नजर में सब मानव मात्र इन्सान हैं. वह सबके अन्दर परमात्मा का अंश, खुदा का जर्रा यानि कतरा मानते हैं. यदि हम सन्तों महात्माओं की बात मान लेंगे तो बच जायेंगे, नहीं तो खाईं खन्दक में जाकर गिर जायेंगे. एक बार यह मनुष्य शरीर चला गया तो अरबों-खरबों वर्षों तक दुबारा नहीं मिलेगा. जीवात्मा कर्मो की सजा लाखों-लाख वर्षो तक नर्को और चौरसियों में भोगती रहेगी.
बाबा पंकज महारान ने सोई हुई जीवात्मा को जगाने के लिए प्रभु-प्राप्ति का मार्ग ‘नामदान’ दिया और सुमिरन, ध्यान, भजन की क्रिया समझाई. कहा कि वेद पुरान सन्त सब गावैं, बिना भजन नहिं विपदा जावै. यह अकाट्य सत्य है कि बिना भगवान के भजन के विपत्तियां दूर नहीं होंगी.
उन्होंने 3 से 5 मार्च 2026 तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में लगने वाले होली सत्संग मेले में भाग लेने का निमन्त्रण दिया. इस अवसर पर जंगबहादुर सिंह, प्रभाचन्द्र, मनबोध, इन्द्रदेव, अविनाश, सुरेश, राहुल, गोरख यादव सदानन्द, राहुल, अंग, जयकृष्ण, राणा प्रताप सहयोगी संगत के नेमीचन्द धाकड़ आदि उपस्थित रहे. सत्संग के बाद वे आठवे पड़ाव के लिए प्रस्थान कर गये, जहां 13 दिसंबर 2025 को दोपहर 12 बजे से सत्संग व नामदान होगा.