संयम और सादगी से ही होता है जीवन में शान्ति और सन्तोष का अनुभव: दिव्‍य मोरारी बापू    

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवान की जवाबदारी- घर में प्रभु की मूर्ति केवल दीपक- आरती उतारने के लिए ही मत रखो. घर के अन्य सदस्यों की तरह प्रभु के साथ भी आत्मकथा का भाव रखो. इतना ही नहीं, बल्कि इस भावना का सेवन करो कि यह घर तो प्रभु का ही है. हम सब तो उनकी प्रेरणानुसार चलने वाले सेवक हैं.

इसलिए जब भी घर से बाहर जाओ, तब प्रभु से भावपूर्वक कहो, ” हे नाथ आपके काम के लिए बाहर जाता हूं. तब तक हमारे साथ भी रहना.” बाहर से लौटने पर भी सबसे पहले प्रभु के पास जाकर वंदन करो और कहो, ” प्रभु ! बाहर का काम पूर्ण करके तेरे चरणों में फिर लौट आया हूं.

इस तरह भगवान के साथ घर के बड़ों की तरह भाव रखोगे तो प्रत्येक काम में प्रभु साथ रहेंगे और सभी काम सफल होंगे. घर-आंगन में मांगलिक अवसरों के समय भी भगवान से पूछ कर ही सब काम करोगे तो हमेशा प्रभु साथ रहेंगे और काम में भी उनकी जवाबदारी रहेगी.

संयम और सादगी से ही जीवन में शान्ति और सन्तोष का अनुभव होता है. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

 

		

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