Health tips: पानी तो सेहत के लिए जरूरी है, लेकिन अगर वही पानी प्लास्टिक की बोतल से पीया जाए तो क्या वो शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है? आजकल ज्यादातर लोग बाहर जाते समय साथ में प्लास्टिक की बोतल रखते हैं या बाजार से मिनरल वॉटर खरीदते हैं. ऑफिस, स्कूल, जिम या सफर, हर जगह प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना आम है. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इस बोतल में भरा पानी आपके हार्मोन सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है? यह कोई अफवाह नहीं, बल्कि वैज्ञानिक शोधों से जुड़ा हुआ फैक्ट है. प्लास्टिक की बोतलों में कुछ ऐसे केमिकल्स होते हैं जो शरीर के हार्मोन बैलेंस को बिगाड़ सकते हैं. चलिए आसान भाषा में समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है.
सिंगल-यूज प्लास्टिक से होने वाले नुकसान
विशेषज्ञों ने सावधान किया है कि रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली सिंगल-यूज पीईटी बोतलों से पैदा होने वाले नैनोप्लास्टिक सीधे इंसानी आंतों, खून और कोशिकाओं के बायोलॉजिकल सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ये अदृश्य कण लंबी अवधि में डीएनए क्षति, शरीर में सूजन, मेटाबॉलिज्म की गड़बड़ी और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी खतरा बन सकते हैं.
तो अगली बार प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल करके फेंकने से पहले इससे होने वाले गंभीर खतरों के बारे में सोच लीजिएगा.
अध्ययन के अनुसार ये प्लास्टिक के महीन कण दुनिया के लगभग हर पर्यावरणीय माध्यम हवा, पानी, मिट्टी, समुद्र, नदियों, बादलों तथा इंसानी रक्त और ऊतकों तक में पहुंच चुके हैं.
कैसे पता चला खतरा?
अपने इस अध्ययन में मोहाली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी से जुड़े शोधकर्ताओं ने एक मल्टी-सिस्टम इन्वेस्टिगेशन किया. इसमें न सिर्फ गट बैक्टीरिया बल्कि रेड ब्लड सेल्स और ह्यूमन एपिथेलियल सेल्स को भी देखा गया. इसका मकसद वातावरण में मौजूद प्लास्टिक का इंसानी सेहत पड़ने वाले गंभीर प्रभावों की जांच करना था.
उन्होंने लैब में पीईटी बोतलों से नैनोप्लास्टिक तैयार किए और उन्हें तीन प्रमुख जैविक प्रणालियों पर उनका टेस्ट किया. इस अध्ययन में शरीर के लिए फायदेमंद गट बैक्टीरिया लैक्टोबैसिलस रैम्नोसस का इस्तेमाल यह देखने के लिए किया गया कि नैनो-प्लास्टिक माइक्रोबायोम पर कैसे असर डालते हैं.
शोधकर्ताओं ने पाया कि लम्बे समय तक इन नैनो-प्लास्टिक के संपर्क में रहने से अच्छे बैक्टीरिया की वृद्धि, गति और सुरक्षा क्षमता कम हो गई. तनाव बढ़ने से बैक्टीरिया एंटीबायोटिक के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो गए.
ब्लड कम्पैटिबिलिटी टेस्ट करने के लिए लाल रक्त कोशिकाओं की जांच की गई. इससे पता चला कि ज्यादा मात्रा में नैनोप्लास्टिक्स की मौजूदगी ने सेल मेम्ब्रेन को नुकसान पहुंचाया और हीमोलिटिक बदलाव किए, यानी रक्त कोशिकाएं टूटने लगीं.
इस खतरे से कैसे बचें?
- स्टील या ग्लास की बोतल का इस्तेमाल करें.
- BPA-free प्लास्टिक चुनें (हालांकि ये भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं माने जाते)
- प्लास्टिक की बोतल को धूप या गर्मी में न रखें.
- बार-बार इस्तेमाल होने वाली बोतल को समय-समय पर बदलें.
- बच्चों के लिए हमेशा BPA-free या नॉन-प्लास्टिक विकल्प चुनें.
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