Navratri 2024 2nd Day: नवरात्रि के दूसरे दिन ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जाने मंत्र, भोग और पीले रंग का क्या है महत्व

Chaitra navratri 2025: नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी‘ स्वरूप की पूजा करने का विधान है. माता के नाम से उनकी शक्तियों के बारे में जानकारी मिलती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली ब्रह्मचारिणी को हमन बार बार नमन करते हैं.

मान्‍यता है कि माता ब्रह्मचारिणी की पूजा अराधना करने से आत्मविश्वास, आयु, आरोग्य, सौभाग्य, अभय आदि की प्राप्ति होती है. माता ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी भी कहा जाता है. मां भगवती की इस शक्ति की पूजा अर्चना कने से मनुष्य कभी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होता और सही मार्ग पर चलता है. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, आरती और स्वरूप के बारे में…

नवरात्रि के दूसरे दिन पीले रंग का महत्व

कहा जाता है कि नवरात्रि के दूसरे दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा अर्चना करनी चाहिए क्योंकि माता ब्रह्मचारिणी को पीला रंग बहुत प्रिय है. साथ ही माता को पीले रंग के वस्त्र, पीले रंग के फूल, फल आदि अवश्य अर्पित करना चाहिए. भारतीय दर्शन में पीला रंग पालन-पोषण करने वाले स्वभाव को दर्शाता है और यह रंग सीखने, उत्साह, बुद्धि और ज्ञान का संकेत है.

माता ब्रह्मचारिणी पूजा विधि

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा पहले दिन की तरह ही शास्त्रीय विधि से की जाती है. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करें और पूरे परिवार के साथ मां दुर्गा की उपासना करें. माता ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले रंग के वस्त्र का प्रयोग करें और पीले रंग की चीजें ही अर्पित करें. माता का पंचामृत से स्नान कराने के बाद रोली, कुमकुम अर्पित करें. इसके बाद अग्यारी करें और अग्यारी पर लौंग, बताशे, हवन सामग्री आदि चीजें अर्पित करें, जैसा आपके घर पर होता हो.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले रंग के फल, फूल आदि का प्रयोग करें. माता को दूध से बनी चीजें या चीनी का ही भोग लगाएं. इसके साथ ही मन ही मन माता के ध्यान मंत्र का जप करें और बीच बीच में पूरे परिवार के साथ माता के जयकारे लगाते रहें. इसके बाद पान-सुपारी भेंट करने के बाद प्रदक्षिणा करें. फिर कलश देवता और नवग्रह की पूजा करें. इसके बाद घी के दीपक व कपूर से माता की आरती करें. फिर दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती आदि का पाठ करें. पूजा पाठ करने के बाद फिर माता के जयकारे लगाएं. साथ ही शाम के समय भी माता की आरती करें.

इन मंत्रों का करें जाप

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू.देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..

अर्थात् जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणी रूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें.


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते..

 


		

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