Parivartini Ekadashi 2025: आज देशभर में परिवर्तिनी एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है, इसे पद्मा एकादशी, जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि आज के दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं. बता दें कि चातुर्मास के आरंभ में भगवान विष्णु शैया पर योगनिद्रा में चले गए थे और आज उन्होंने शयन अवस्था में करवट बदलते हैं, यही वजह है कि इसे ‘परिवर्तिनी’ कहा गया है.
मान्यता है कि जो कोई भी इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
Parivartini Ekadashi 2025 शुभ मुहूर्त
परिवर्तिनी एकादशी की तिथि प्रारंभ- 3 सितंबर, 3: 53 am
परिवर्तिनी एकादशी की तिथि अंत- 4 सितंबर, 4:21 pm
Parivartini Ekadashi 2025 व्रत विधि
एकादशी के दिन प्रातःकाल स्नान करके भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को धूप-दीप, फूल, तुलसी दल और पंचामृत से पूजा करें.
इस दिन पूरे दिन उपवास करना चाहिए.
भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और तुलसीदल अर्पित करना शुभ माना जाता है.
व्रत के दिन दान करने का विशेष महत्व है.
द्वादशी तिथि को ब्राह्मण को भोजन कराकर स्वयं भोजन ग्रहण करें.
Parivartini Ekadashi 2025 की व्रत कथा
पुराणों के मुताबिक, त्रेतायुग में बलि नामक दैत्यराज ने समस्त लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया था. ऐसे मे भगवान इंद्र और अन्य देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की, तब भगवान विष्णु वामन अवतार में राजा बलि से दान मांगने गए. इस दौरान वामन ने बलि से तीन पग भूमि मांगी. जब बलि ने सहमति दी तो वामन ने अपना विराट रूप धारण कर लिया. एक पग में उन्होंने पृथ्वी, दूसरे में स्वर्ग को नाप लिया और तीसरे पग के लिए राजा बलि ने अपना सिर अर्पित कर दिया.
इसके बाद भगवान विष्णु ने बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और स्वयं वहीं निवास करने लगे। इस समय भगवान ने शयन किया और चातुर्मास के दौरान परिवर्तिनी एकादशी को करवट बदली, और तभी से इस एकादशी का नाम परिवर्तिनी पड़ा.
इसे भी पढ़ें:-75 लाख रुपए से लखनेश्वर डीह मंदिर का होगा सुंदरीकरण: परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह