Shardiya Navratri: नवरात्र के 9वें दिन ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, समस्त मनोकामनाएं होगी पूर्ण

Shardiya Navratri:  नवरात्र के नौवें दिन मां दुर्गा की नौवें रूप मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है. ज्‍योतिष बताते है कि ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली होती हैं. इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधकों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है.

सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अप्राप्य नहीं रह जाता है. मां सिद्धिदात्री की पूजन से ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने का सामर्थ्य भक्त में आ जाता है. दुर्गा के नौवें रूप सिद्धिदात्री में सिद्धि का अर्थ है अलौकिक शक्ति या ध्यान की क्षमता और धात्री का अर्थ है देने वाला. सिद्धिदात्री समस्‍त मनोकामनाओं को पूरा करती है.

ऐसा है मां का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं. ये कमल पुष्प पर आसीन होती हैं और इनका वाहन सिंह है. सिद्धिदात्री के दाहिने तरफ के नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प होता है, जबकि ऊपर वाले हाथ में मां शंख लिए हुए हैं. वहीं बायीं ओर के नीचे वाले हाथ में गदा सुशोभित रहता है और ऊपर वाले हाथ में सुदर्शन चक्र होता है.

मां सिद्धिदात्री को सरस्वती का रूप भी माना जाता हैं. वह देवी सरस्वती की तरह सफेद वस्त्र धारण किए हुए होती हैं. ज्योतिषीय मान्यताओं के मुताबिक देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं.

देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि

प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होकर महानवमी व्रत और मां सिद्धिदात्री की पूजा का संकल्प लें। फिर मातारानी को अक्षत्, पुष्प, धूप, सिंदूर, गंध, फल आदि समर्पित करें। इसके उपरांत देवी के मंत्रों से उनकी पूजा शुरू करें। अंत में मां सिद्धिदात्री की आरती करें। मां दुर्गा को खीर, मालपुआ, मीठा हलुआ, केला, नारियल और मिठाई बहुत पसंद है। मातारानी को प्रसन्न करने के लिए आप इन पकवानों का भोग लगा सकते हैं।

नौवें दिन कराएं कन्या भोजन

नवरात्रि के नौवें दिन नौ कन्याओं को घर में भोजन करवाना चाहिए. कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर और 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए. नव-दुर्गाओं में सिद्धिदात्री अंतिम है तथा इनकी पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

भक्तों को संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. पूजा के अंत में देवी दुर्गा के लिए 9 दिनों तक रखे गए व्रत एवं पूजन में भूलचूक के लिए मन ही मन में क्षमा प्रार्थना करें. मां सिद्धिदात्री की पूजा संपन्न हो जाने के बाद सभी को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.

मां सिद्धिदात्री के मंत्र

बीज मंत्र
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

प्रार्थना मंत्र
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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