Indian Railways: भारत सरकार भारतीय रेलवे का कायाकल्प के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसमें पैसेंजर्स को सुरक्षा देने से लेकर ट्रेनों में कवच सिस्टम लगाते तक शामिल है. इस बीच भारतीय रेलवे ने हाइड्रोजन गैस से ट्रेन चलाने की तैयारी शुरू कर दी है. रेलवे बोर्ड के सदस्य अनिल कुमार खंडेलवाल ने बताया कि भारत इस साल अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन शुरू कर देगा. 2047 तक ऐसी ट्रेनों की संख्या बढ़कर 50 हो जाएगी.
1400 किमी के ट्रैक पर काम पूरा
अनिल कुमार खंडेलवाल ने कहा कि 16 जुलाई को कवच के चौथे वर्जन का अंतिम विनिर्देश कर लिया गया है. अब हम इसे पूरे देश में लागू करने वाले हैं. उन्होंने बताया कि 1,400 किलोमीटर के ट्रैक पर काम पूरा हो गया है. दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के 3,000 किमी के लिए बोलियां स्वीकार की जा रही हैं. इस बजट में रेलवे को 2,62,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इसमें से करीब 1.08 लाख करोड़ रुपये केवल सुरक्षा बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे.
गति शक्ति आने से काम में इजाफा
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि गति शक्ति के आने से काम की रफ्तार में बढ़ोत्तरी हुई है. अब सालाना 70 से 80 प्रोजेक्ट अप्रूवल किए जा रहे हैं, इनकी संख्या पहले 7 से 8 थी. रेलवे हर रोज 14.50 किमी ट्रैक बना रहा है. पिछले साल 5 हजार किलोमीटर का ट्रैक बनाया गया. वहीं बुलेट ट्रेन को लेकर रेलवे अधिकारी ने कहा कि 2027 तक देश में पहली बुलेट ट्रेन देखने को मिल सकती है.
जानें क्या है हाइड्रोजन ट्रेन
हाइड्रोजन ट्रेन हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली ट्रेन है. इस रेलगाड़ियों में डीजल इंजन के बजाए हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स का इस्तेमाल होता है. इन ट्रेनों में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन या पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं होता. इसके चलने से प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स की मदद से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को बदलकर बिजली उत्पन्न की जाती है. इसी बिजली का इस्तेमाल ट्रेन को चलाने में होता है.
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