राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि हमारे जीवन के सारे कार्यकलाप मन के द्वारा ही प्रेरित, संचालित और निष्पादित होते हैं। मन के बिना हम कुछ नहीं कर सकते। अगर हम संसार में हैं तो मन का उपयोग हमें करना ही पड़ेगा। हम जन्म जन्मान्तर से मन का उपयोग करते ही आ रहे हैं। मन के होने से ही तो चौरासी लाख योनियों में इस योनि को मनुष्य कहा गया, अन्य किसी भी योनि के जीवधारी को मनुष्य नहीं कहा गया। सिर्फ मनुष्य विचार कर सकता है और विचार करना ही मन का काम है। मन का होना भी जरूरी है और इसका सही उपयोग करना भी जरूरी है। सांसारिक कार्यों का निर्वाह मन के बिना नहीं हो सकता। संसार प्रतिपल परिवर्तनशील है, संसार की हर वस्तु बदलने वाली है, नाशवान है। मन भी परिवर्तनशील है, प्रतिपल बदलने वाला है, बड़ा चंचल है, और हर पल सक्रिय है। यह मन का ही काम है कि वह हमारे आसपास का पूरा ख्याल रखता है और जो परिवर्तन हो तो, जो घटित होता तो, उसकी हमें खबर देता रहता है। मन का काम ही यह है कि संसार के हर बदलाव को, घटनाक्रम को और वातावरण को, न सिर्फ समझता रहे, बल्कि हमें भी समझाता रहे। मन का उपयोग किये बिना शारीरिक और मानसिक रूप से कुछ नहीं कर सकते हैं। इसलिए जरूरत इस बात की है कि मन का सदुपयोग किया जाए दुरुपयोग नहीं। जैसे शरीर के साथ आत्मा है, संसार के साथ परमात्मा है, भौतिकता के साथ आध्यात्मिकता है और रोग के साथ ही स्वास्थ्य है। मन का सदुपयोग यह है कि इसे विवेक पूर्वक अध्यात्म, ईश्वर आराधना और जीवन निर्वाह के कामों में लगाया जाये। विवेकपूर्वक मन को शरीर, संसार , भौतिकता और भजन से संबंधित करना, इसका सदुपयोग है। संसार के कामों को ठीक-ठीक जान सके और ठीक- ठीक ढंग से सभी कार्य शुभ- अशुभ, उचित-अनुचित का विचार करते हुए शुभ और उचित विचार ही करे, उचित आचरण ही करें और अशुभ व अनुचित न करें, यह ध्यान रख कर मन से काम लेना इसका सदुपयोग है।सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्टगनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।