लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में गंभीर सर्जरी के मामलों में अत्याधुनिक डिजिटल थ्रीडी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इसका सबसे ज्यादा फायदा न्यूरो और ऑर्थोपेडिक सर्जरी के मामलों में तो होगा ही बाकी विभागों में भी इसका उपयोग हो सकेगा। केजीएमयू ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के स्टूडेंट्स के लिए थ्रीडी डिजिटल मेडिकल डिजाइनिंग पर आधारित नि:शुल्क कोर्स की शुरुआत भी कर रहा है। केजीएमयू की प्रोफेसर दिव्या मेहरोत्रा ने बताया कि डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल रिसर्च के सहयोग से संस्थान में थ्रीडी लैब की स्थापना की गई है। इस लैब का उपयोग अभी तक सिर्फ डेंटल फैकल्टी के स्टूडेंट मरीजों के इलाज में कर रहे थे। अब इसका दायरा बढ़ाया जा रहा है। इसके तहत केजीएमयू ने सभी मेडिकल स्टूडेंट्स को थ्रीडी डिजिटल डिजाइनिंग सिखाने का फैसला किया है। संस्थान ने केजीएमयू के साथ ही अन्य संस्थान के स्टूडेंट्स के लिए भी यह कोर्स निशुल्क रखा है। यह कोर्स चार सप्ताह का होगा। जो हर महीने एक सप्ताह के हिसाब से चार महीने तक चलेगा। हर महीने इसमें एक मॉड्यूल की पढ़ाई होगी। कोर्स पूरा होने के बाद बहुविकल्पीय सवाल आधारित प्रणाली पर इसका मूल्यांकन भी किया जाएगा। संस्थान के स्टूडेंट्स को हर सप्ताह की पढ़ाई के लिए तीन क्रेडिट भी दिए जाएंगे। इसका पंजीकरण शुरू हो चुका है। प्रो. दिव्या मेहरोत्रा के अनुसार अब तक करीब 100 मेडिकल स्टूडेंट्स ने इसमें अपना पंजीकरण कराया है। केजीएमयू की डॉ. दिव्या मेहरोत्रा ने बताया कि सर्जरी के समय मरीज के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी उपयोगी होती है। अगर किसी मरीज के सिर का ऑपरेशन होना है तो उसके सीटी स्कैन के साथ ही अन्य जांच रिपोर्ट का सहारा लिया जाता है। थ्रीडी प्रिंट होने पर यह जानकारी कई गुना ज्यादा प्रभावी होगी। इसके लिए सबसे पहले सर्जरी वाले अंग को थ्रीडी स्कैनर के जरिए स्कैन किया जाता है। स्कैन के बाद क्षतिग्रस्त हिस्से को डिजिटल डिजाइन के द्वारा तैयार किया जाता है। सामान्य डिजाइन के मुकाबले यह तस्वीर ज्यादा क्लीयर होती है।