गंडक नदी में फंसे लोगों को किया गया रेस्क्यू

कुशीनगर। बरसात की अंधेरी रात, ऊफनाई नदी में बिना पतवार के बह रही नाव और मोबाइल का कमजोर सिग्नल, कुल मिलाकर मदद की कोई आस नहीं। ऐसी विषम परिस्थिति में फंसे लोगों पर एक-एक पल कितना भारी पड़ा होगा, इसकी कल्पना मात्र से मन कांप जाता है। लेकिन यही हालत थी गंडक नदी की मझधार में नाव पर फंसे करीब उन डेढ़ सौ सवारों की जिन्हें करीब पांच घंटे बाद उम्मीद की एक किरण नजर आई जब उनकी नाव एक जगह जाकर फंस गई। नाव पर सवार लोगों ने जिंदगी की आस नहीं छोड़ी और अंतत: ग्रामीणों के अलावा एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की रेस्क्यू टीम उन्हें बचाने के लिए पहुंच ही गई। लोगों का कहना है कि लहरों के बीच धैर्य से काम लिया। ऐसा लग रहा था कि मौत सामने खड़ी है। नाव पर सवार रहे पुष्कर नगर निवासी रामजीत यादव ने बताया कि शाम को खेतों से काम निबटाकर सब लोग जल्दी में थे। बीच मझधार में पहुंचते ही नाव का मोटर बंद हो गया। उस वक्त नदी के विकराल रूप को देखकर ही मन सहम गया था। पुष्कर नगर के ही दया यादव का कहना है कि जब नाव लहरों के सहारे बहने लगी तो जिंदगी की आस ही खत्म हो गई थी। हम कुछ कर भी नहीं सकते थे, लिहाजा सब भगवान को याद कर शांत बैठे थे।

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