प्रभु का प्रसाद है जीवन: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जीवन तो प्रभु का प्रसाद है, उन का वरदान है, पूर्ण परमात्मा हैं। जिनके अंदर कोई अपूर्णता नहीं है और पूर्ण निर्दोष भी परमात्मा ही हैं। जीव के साथ में कुछ न कुछ अपूर्णता और पूर्व जन्मों के संस्कार का खोट मिला रहता है। भजन, साधन करके जीव निर्मल बन करके उन परमात्मा से जुड़ता है। संत जन कहते हैं कि सबको अपना भाई,बंधु, गुरुजन मानना श्रेष्ठ है। लेकिन भगवान कभी मत समझना, नहीं तो बड़ी विकट स्थिति पैदा होती है जैसा किसी भक्त कवि ने लिखा है-देखते-देखते साहेब ईश्वर बन बैठे।। यहां तो बरसों बीते मानव सा होने में। जिसको आप भगवान् मानते हैं, उनकी कमियां आप सह नहीं सकते, क्योंकि भगवान में कैसी कमी, दोषों वाले, अपूर्ण, भगवान हो ही नहीं सकते। परमात्मा पूर्ण ही होता है। जब आप कमियां सह नहीं पायेंगे तब आपकी श्रद्धा खंड-खंड हो बिखर जायेगी। आपको इतना गहरा धक्का लगेगा कि हो सकता है, आप धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र से दूर हो जाओ, नास्तिक बन जाओ। इसलिए किसी भी काम में जल्दबाजी नहीं करना। मानव है हम सब, इससे आगे कुछ नहीं। जिसको आप ऊंचे आसन पर बिठाते हैं, उसके विषय में यह बात भी सोचो कि- वह हमारी तरह एक मानव ही है और उसमें भी कमियां हो सकती हैं। हमारे ऋषि-मुनि बड़े वास्तववादी थे। जब शिष्यों की शिक्षा पूर्ण होती थी और शिष्य अपने स्थान पर वापस जाते थे, तब गुरुजी उनसे कहते थे- बेटा तुम अपना विद्याभ्यास पूर्ण करके जा रहे हो, मुझे वंदन कर रहे हो, ठीक है, लेकिन परमात्मा के सिवा कोई पूर्ण नहीं है। मेरे साथ रहकर तुमने मेरी कुछ कमियां देखी होंगी, वे मेरी कमजोरियां हैं। मुझमें भी दोष है और मैं अपने दोषों को, कमियों को दूर नहीं कर सका। लेकिन तुम उन दुर्गुणों से, दोषों से, व्यसनों से बच कर रहना। अपनी कमियों को स्वीकारने वाले ये महात्मा कितने महान और वास्तव बादी थे। संत जन भी यही बात कहते हैं कि सबके प्रति श्रद्धा रखो लेकिन ईश्वर ही ईश्वर है ईश्वर के अलावा कोई दूसरा ईश्वर नहीं हो सकता। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना- श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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