बिजली विभाग में करोड़ों रूपये के सामानों की हेराफेरी की शुरू हुई विजिलेंस जांच

प्रयागराज। यूपीपीसीएल के एक पूर्व एमडी के करीबी ठेकेदार की इलेक्ट्रिकल फर्म के अवैध गोदामों में छिपाए गए बिजली विभाग के करोड़ों रुपये के सामानों के रिकार्ड की विजिलेंस ने जांच शुरू कर दी है। इस मामले में स्टोर के एसडीओ सहित कई अधिकारियों से पूछताछ की गई है। जल्द ही स्टोर के रिकार्ड खंगाले जा सकते हैं। इस मामले को लेकर कई और अफसर जांच के दायरे में आ सकते हैं। कागज पर उन सामानों को जमा कराए जाने के बाद अब उसका लेखाजोखा नहीं मिल पा रहा है। इसेे लेकर विभाग की मुश्किलें बढ़ने की आशंका है। वर्ष 2019 में इस यूपीपीसीएल की विजिलेंस टीम की जांच के बाद इस इलेक्ट्रिकल फर्म की ओर सेे करीब पांच करोड़ रुपये के ट्रांसफारमर, केबल समेत अन्य सामानों को बिजली विभाग के स्टोर में जमा कराने की जानकारी दी गई थी। अब विजिलेंस ने उस रिकार्ड की जांच शुरू की है, जिसके तहत सामान स्टोर में जमा कराए गए हैं। स्टोर में जमा कराए गए उन सामानों की सूची विजिलेंस की ओर से बिजली विभाग से मांगी गई है। इस मामले में एसडीओ स्टोर घनश्याम त्रिपाठी से पूछताछ भी की गई। एसडीओ ने विजिलेंस के अफसरों को बताया है कि स्टोर में किस ठेकेदार की ओर से कब और कितना सामान जमा कराया गया है, इसका हिसाब देना अब मुश्किल है। एसडीओ का कहना है कि किसी ठेका फर्म से टेंडर वाइज सामान जमा नहीं कराया जाता। इसका रिकार्ड उनके पास फिलहाल उपलब्ध नहीं है। कहा जा रहा है कि किसी उपकेंद्र के निर्माण या अन्य कार्यों के लिए स्टोर से अधिक सामानों की निकासी होने पर बाद में ऐसे पार्ट्स को वापस जमा कराया जाता है, लेकिन वह किसी ठेका फर्म के नाम से नहीं, बल्कि जेई अपने खाते में जमा कराते हैं। इससे अब इस मामले की जांच में पेच फंसने लगा है। फिलहाल जल्द ही विजिलेंस की टीम नैनी स्थित स्टोर पर रिकार्ड खंगालने के लिए पहुंच सकती है।

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