राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि व्यक्ति जिस क्षेत्र में काम करे, उसे उसमें तुरन्त ही सफलता प्राप्त हो। प्रत्येक व्यक्ति जिस काम को करता है, उसमें पूर्ण रूप से सफलता प्राप्ति का लक्ष्य उसके लिये प्रमुख होता है। सफलता के साथ असफलता भी जुड़ी हुई है। सफलता का लक्ष्य लेकर चलने वाले व्यक्ति भी अक्सर असफल हो जाते हैं। अपने आप में यह कोई अनहोनी नहीं है। इसलिये यदि सफलता के साथ-साथ कभी असफल भी होना पड़े तो धैर्य तथा हिम्मत नहीं खोनी चाहिये। अगर हिम्मत गवां दी गई तो सफलता उससे बहुत दूर चली जायेगी। किसी भी काम की सफलता के पीछे अनेक कारण जिम्मेदार होते हैं। इन कारणों को खोजकर, उन पर गंभीर चिंतन-मनन कर दूर करने का प्रयास करना चाहिये। पुनः प्रयास में व्यक्ति सफल होगा, यह निश्चित है। जो व्यक्ति असफलता के कारण तलाश करने के स्थान पर दोषारोपण दूसरों पर करते हैं, वे अक्सर सफलता का स्वाद नहीं चख पाते। एक बार असफल होने के बाद अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये फिर से जुट जाना चाहिये, पूरी हिम्मत के साथ। जिनके पास हिम्मत होती है, सफलता भी उसी को प्राप्त होती है। ठोकर खाकर गिर जाने के बाद तुरन्त उठकर खड़े होने की हिम्मत होनी चाहिये। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना- श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।