नई दिल्ली। केंद्र ने गुजरात कैडर के आईपीसी अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति को उचित ठहराते हुए कहा कि उनकी नियुक्ति राजधानी के सामने आने वाली विविध कानून व्यवस्था की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए की गई है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय, सीमा पार प्रभाव निहितार्थ हैं। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष अस्थाना की नियुक्ति का बचाव करते हुए केंद्र ने कहा कि उसे दिल्ली के पुलिस बल के प्रमुख के रूप में उस व्यक्ति को नियुक्त करने की मजबूर आवश्यकता महसूस हुई जिसके पास एक बड़े राज्य में एक बड़े पुलिस बल का नेतृत्व करने का विविध और विशाल अनुभव था। अस्थाना के पास विविध राजनीतिक और साथ ही सार्वजनिक व्यवस्था की समस्या, काम करने और केंद्रीय जांच एजेंसी के साथ-साथ अर्ध-सैन्य बलों की निगरानी करने का अनुभव है। केंद्र ने कहा कि अस्थाना की नियुक्ति के पीछे यह विचार था कि दिल्ली देश की राजधानी होने के नाते यह सार्वजनिक व्यवस्था, कानून और व्यवस्था की स्थिति, पुलिस के मुद्दों की विविध और अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रही है। इसमें न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के निहितार्थ थे, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय, सीमा पार निहितार्थ भी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव द्वारा दायर जवाब में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में अस्थाना की नियुक्ति में कोई कमी नहीं है और सभी लागू नियमों और विनियमों का ईमानदारी से पालन करने के बाद नियुक्ति की गई है। उन्होंने यह जवाब अस्थाना की 27 जुलाई को की गई नियुक्ति को चुनौती याचिका पर दिया है। हलफनामा एक जनहित याचिका के जवाब में दायर किया गया था जिसमें गृह मंत्रालय द्वारा अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त करने के 27 जुलाई के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। केंद्र ने तर्क दिया है कि याचिका कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और यह स्पष्ट रूप से कुछ व्यक्तिगत प्रतिशोध का परिणाम है। ऐसे में जनहित याचिका को जुर्माने के साथ खारिज किया जाए। यह एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) व एक अन्य ने दायर की है। केंद्र ने याचिकाकर्ता के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी आठ पूर्व पुलिस आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने पर विचार नहीं किया, हालांकि उन्हें उसी तरह से नियुक्त किया गया था जैसे कि अस्थाना के मामले में किया गया है। स्पष्ट है कि उनका विशेष मकसद है। याचिकाकर्ता ने अस्थाना की नियुक्ति को गैरकानूनी बताते हुए इसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रकाश सिंह मामले में दिए गए दिशा निर्देशों का उल्लंघन बताया है।