आयुष के जरिए प्रतिरक्षा तंत्र भी हो रहा है मजबूत…

नई दिल्ली। आयुष के जरिए डेंगू-वायरल रोगियों में दोहरा फायदा देखने को मिल रहा है। आयुर्वेदिक एंटीबॉडी फीफाट्रोल न सिर्फ शरीर तोड़ बुखार को नियंत्रण लाने में कामयाब है बल्कि यह प्रतिरक्षा तंत्र (इम्युनिटी) को भी बढ़ाने में असरदार है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना की तरह वायरल संक्रमण का भी शुरुआती इलाज बहुत जरूरी है। अगर समय रहते मरीज सचेत हो जाए तो उन्हें अस्पताल में दाखिल कराने की नौबत नहीं आती। दिल्ली के अस्पतालों में इनदिनों वायरल और मच्छर जनित बीमारियों के मामले सबसे अधिक देखने को मिल रहे हैं। दिल्ली नगर निगम के अनुसार राजधानी में अब तक 158 लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 21 फीसदी से भी अधिक (34 मामले) इसी माह के बीते 12 दिन में सामने आए हैं। इनके अलावा अस्पतालों में वायरल संक्रमित मरीजों की वजह से ओपीडी में मरीज करीब 30 से 40 फीसदी तक बढ़े हैं। दिल्ली एम्स से लेकर तमाम बड़े प्राइवेट अस्पतालों में बुखार उतरने और फिर लंबे समय तक खांसी-कफ रहने जैसे मामले भी काफी संख्या में सामने आ रहे हैं। चूंकि मौसमी बुखार और मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप सालों से देखने को मिल रहा है। इन बीमारियों के खिलाफ एलोपैथी की तरह आयुर्वेद में भी सफल उपचार मौजूद हैं। इसे लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के डॉक्टरों ने कई अध्ययन भी किए हैं। इनमें सुदर्शन घन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिभुवन कीर्ति रस व मत्युंजय रस इत्यादि को असरदार माना है। इन्हीं से मिलकर फीफाट्रोल बनी है जिसे विशेषज्ञों ने आयुर्वेदिक एंटीबॉयोटिक का नाम भी दिया। वहीं नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) ने हाल ही में आयुर्वेदिक एंटीबॉडी को एक अध्ययन में संक्रमण के खिलाफ कारगर माना। आयुर्वेद के अलावा होम्योपैथी चिकित्सा में भी मौसमी वायरल को लेकर काफी असरदार उपचार शामिल है। केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) के डॉ. देबदत्त नायक ने बताया कि आर्सेनिकम एलबम और नैनो करक्यूमिन युक्त दवाओं के जरिए इन्फ्लूएंजा रोगियों में सकारात्मक परिणाम अब तक देखने को मिल चुके हैं। आर्सेनिकम एलबम 200 को लेकर दिल्ली के मीरा बाग, जखीरा, मालवीय नगर सहित कई इलाकों में सीसीआरएच के विशेषज्ञ अध्ययन भी कर रहे हैं। नई दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. अमित का कहना है कि ओपीडी और आईपीडी (वार्ड) में सर्वाधिक मरीज मौसमी बीमारियों से जुड़े हैं। कई मरीज ऐसे भी देखने को मिल रहे हैं जिन्हें पिछली बार बुखार हुआ लेकिन अब तक खांसी और कफ से आराम नहीं है। कई परिवार ऐसे भी मिल रहे हैं जिनमें एक व्यक्ति को बुखार होने के बाद सभी चपेट में आ गए। ऐसे में लोगों को सावधानी रखते हुए इम्युनिटी को बरकरार रखने की आवश्यकता है। यह न सिर्फ कोरोना, बल्कि सभी तरह के संक्रमण इत्यादि से बचाव करेगा।

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