इस बार 16 नहीं 17 दिन के होंगे पितृपक्ष

उत्तराखंड। श्रद्धापूर्वक अपने पितरों को प्रसन्न करने का पर्व श्राद्ध पक्ष इस बार 16 के बजाए 17 दिनों का होगा। ऐसा संयोग दशकों बाद पंचमी तिथि दो दिन आने के कारण बन रहा है। श्राद्ध पक्ष 20 सितंबर से शुरू हो गए हैं, जो छह अक्तूबर तक चलेंगे। इन दिनों सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे। सनातन मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना देह त्याग कर चले गए हैं। उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है। श्राद्ध हमारे सनातन धर्म में महत्वपूर्ण धार्मिक कृत्य है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जब सूर्य नारायण कन्या राशि में विचरण करते हैं, तब पितृ पृथ्वी लोक के सबसे नजदीक आ जाते हैं। जो मनुष्य अपने पितरों के प्रति उनकी तिथि पर अपने सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, उन पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध के 16 दिनों में लोग अपने पितरों को पिंडदान देकर तृप्त करते हैं। इस बार पितृपक्ष कई दशकों के बाद 16 के बजाए 17 दिनों का पड़ रहा है। श्राद्ध पक्ष में पंचमी तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 25 सितंबर की सुबह 10 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 26 सितंबर को दोपहर एक बजे तक रहेगी, लेकिन शास्त्रानुसार पंचमी तिथि का श्राद्ध 25 सितंबर को ही किया जाएगा। जिस कारण छठवां श्राद्ध 27 को होगा। उत्तराखंड विद्धत सभा के पूर्व अध्यक्ष पं. उदय शंकर भट्ट ने बताया कि सनातन धर्म के अनुसार श्राद्ध करने से पितरों को आत्मिक शांति मिलती है। श्राद्ध पक्ष में पिंडदान और तर्पण के साथ ही गाय, कुत्ता और कौआ को भी भोजन कराना अनिवार्य है। प्रतीक पुरी के अनुसार इन दिनों में कोशिश करें कि अपने पैतृक निवास में ही श्राद्ध करें। उस स्थान में किया गया श्राद्ध किसी तीर्थ पर किए गए श्राद्ध से अधिक पुण्यकारी होगा। ध्यान रहे कि पितरों की पूजा देवताओं से भी पूर्व की जाती है। देवता यदि नाराज हैं, तो उन्हें उपासना से मनाया जा सकता है, लेकिन पितरों को मनाना बहुत मुश्किल है। जल में काला तिल व हाथ में कुश रखकर स्वर्गीय हो चुके स्वजन का स्मरण और पूजन करना चाहिए। जिस दिन निधन की तिथि हो, उस दिन अन्न व वस्त्र का दान अवश्य करना चाहिए। पितरों की तिथि पर ब्राह्मण देवता को भोजन करवाएं। कौवों को दाना चुगाएं व कुत्तों को भी भोजन दें। 20 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध किया गया। 21 को प्रतिपदा का श्राद्ध है। 22 को द्वितीया, 23 को तृतीया, 24 को चतुर्थी, 25 को पंचमी, 27 को षष्ठी, 28 को सप्तमी, 29 को अष्टमी व 30 को नवमी का श्राद्ध पूजन होगा। एक अक्तूबर को दशमी, दो को एकादशी, तीन को द्वादशी, चार को त्रयोदशी, पांच को चतुर्दशी और छह अक्तूबर को अमावस्या का श्राद्ध किया जाएगा। वहीं, शांतिकुंज में पितृपक्ष पर नि:शुल्क श्राद्ध संस्कार आयोजन शुरू हो गया। श्राद्ध पक्ष के प्रथम दिन एक हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने अपने पितरों को याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की। शांतिकुंज के सभागार में आयोजित श्राद्ध संस्कार में राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने पितरों की याद में पौधे रोपे।

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