पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि ईश्वर के प्रति प्रेम ईश्वर से बड़ा है, बिना विश्वास के भक्ति नहीं मिलती, इसीलिए पहले कथा सुन-सुनकर ईश्वर में दृढ़ विश्वास जगाओ। अभी हमें विश्वास है पर किसी का 10% है, किसी का 20% प्रतिशत है, किसी का 40%और किसी का 50-60% है। विश्वास है पर पूर्ण नहीं। पूर्ण विश्वास तब कहलायेगा जब सूर्य की तरह प्रकाश हो। जिसके दिल में पूर्ण विश्वास आ गया है उनके दिल का हाल उनसे खुद ही पूछ लो कि क्या है? दूसरों से क्या पूछना? जिनके हृदय में विश्वास आ गया, उनका जीवन आनंद से भर गया। वे बाहर से दुःखी दिख सकते हैं पर अंदर से खुशहाल रहते हैं। जो ईश्वर से विमुख होते हैं वे बाहर से सुखी दिख सकते हैं पर अंदर से सदा रोते रहते हैं। ईश्वर से दूर रहने वाला बाहर से सुखी दिख जायेगा लेकिन अंदर से रो रहे हैं और भजन करने वाला बाहर से भले ही दुःखी दिख जाये, अंदर से हंसता रहता है। गोपांगनाएं कहती हैं हे उद्धव! हमें कन्हैया के वियोग में रोने में जो आनंद आता है, योगी को समाधि में भी वह आनंद नहीं मिल पाता। हमारे रोने में भी आनंद है। हमेशा एक मीठा-मीठा रस अंदर टपकता रहता है।प्रभु की याद में रोते हैं तो आनंद आता है, गाते हैं तो आनंद आता है, नाचें तो आनंद होता है। हमारे लिए तो हर जगह आनंद ही आनंद है।आप हमें ज्ञान सिखाने आये हो? जाओ, कृष्ण से कह दो, हम स्वयं ही कृष्णमय हो गई हैं, हमें किसी दूसरे आनंद की जरूरत नहीं है। हमें तो अभेद स्थिति प्राप्त हो चुकी हैं। श्याम मन श्याम त, श्याम ही हमारो धन। आठो याम उद्धौ हमें श्याम से ही काम है।। श्याम मति श्याम गति, श्याम ही हमारो पति। श्याम सुखदाई सो भलाई शोभा धाम है।। श्याम हिये श्याम जिये, श्याम बिना नाहि जिये। अंधे की-सी लाकड़ी, आधार श्याम नाम है।।उद्धव भये वौरे,पाती लेकर आये दौड़े।अरे योग कहां रखे यहां रोम-रोम श्याम है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला अजमेर (राजस्थान)।