नई दिल्ली। उत्तरी निगम ने व्यापारियों को राहत देने का निर्णय लिया है। निगम ने अपने सभी छह जोनों में व्यापारियों की संपत्तियों को डी-सील करने का फैसला किया है, जिन्हें विभागीय स्तर पर उसने ही सील किया है। निगम ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी कमेटी के निर्देश पर सील हुई संपत्तियों का इस डी-सीलिंग प्रक्रिया से कोई लेना-देना नहीं होगा। उत्तरी निगम की स्थायी समिति ने निगमायुक्त संजय गोयल की उपस्थिति में यह निर्णय लिया है। स्थायी समिति के अध्यक्ष जोरी राम जैन ने बताया कि दिल्ली में 1962 के पहले से जो व्यापारी व्यवसाय कर रहे हैं, उन्हें कन्वर्जन चार्ज पर छूट मिलती है। लेकिन, कन्वर्जन चार्ज नहीं जमा करने के नाम पर जिनकी संपत्तियों को सील किया गया है, उन्हें 15 दिन के भीतर डी-सील किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 1667 संपत्तियों को सील किया गया है, इन्हें डी-सील होने का मौका मिलेगा। यदि किसी व्यवसायी की संपत्ति डी-सील नहीं हुई तो ऐसा किस कारण हुआ, निगम के अधिकारी इसका लिखित जवाब स्थायी समिति, महापौर और आयुक्त को देंगे। इस दौरान सील संपत्ति मालिक को भी यह जानकारी मिलेगी। उत्तरी निगम के संबंधित अधिकारियों ने स्थायी समिति की बैठक में बताया कि पहले डीडीए मास्टर प्लान दिल्ली (एमपीडी)-2007 में प्रावधान-1962 के तहत शाहजहानाबाद, शाहजहानाबाद एक्सटेंडेड और करोलबाग क्षेत्र की 20 जगहों को व्यावसायिक क्षेत्र घोषित किया गया था। यहां पर चल रही औद्योगिक गतिविधियों को यथा स्थिति रखने का निर्णय लिया गया था। इन्हें कन्वर्जन चार्ज पर छूट मिली थी। स्थायी समिति के अध्यक्ष ने बताया कि 15 दिन में यह साफ हो जाएगा कि किसकी संपत्ति डी-सील होगी। उत्तरी निगम के सभी जोनों में निगम उपायुक्त (डीसी) स्तर पर डी-सीलिंग की प्रक्रिया चलाई जाएगी। निगम के सामने व्यापारियों को साबित करना होगा कि उनका व्यवसाय 1962 से पहले का है। तभी सील संपत्तियों को डी-सील किया जाएगा। संपत्ति के पते का बिजली बिल, नक्शा, हाउस टैक्स जैसे प्रमाण-पत्र मान्य होंगे। विपक्षी दल के नेता विक्की गुप्ता ने इस मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा कि सिटी, सदर बाजार जोन, करोलबाग जोन और सिविल लाइन जोन के व्यापारियों को अब भी कन्वर्जन चार्ज नहीं जमा करने के नाम पर नोटिस मिल रहे हैं। व्यापारियों को कितना कन्वर्जन चार्ज जमा करना है, पता ही नहीं है। वह जोनल कार्यालयों के धक्के खा रहे हैं। स्थायी समिति अध्यक्ष ने विपक्ष के इस मुद्दे का तत्काल समाधान करने का आदेश दिया।