पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि परमात्मा के बारे में शास्त्रों ने कहा है कि प्रभु अनंतकोटि ब्रह्माण्डा नायक हैं। जैसे सेनापति सेनानायक होता है, परमात्मा करोड़ों ब्राह्मणों के नायक हैं। अर्जुन ने भगवान् श्री कृष्ण से प्रश्न किया है कि- प्रभु आपके दो रूप हैं, सगुण और निर्गुण। कुछ लोग आपके सगुण साकार रूप से ज्यादा स्नेह करते हैं, आप इतने सुंदर हो कि पशु पक्षी भी आपको देखकर स्नेह भाव से भर जाते हैं, आकर्षित हो जाते हैं। आपका दिव्य सौंदर्य, माधुर्य,सौरस, सुगंध इसका वर्णन करना वाणी का विषय नहीं है। एक तो आपका सांवरा सलोना सुंदर स्वरूप है और दूसरा आपका निर्गुण, निराकार, निर्विकार स्वरूप है जो सारे संसार के कण-कण में, करोड़ों ब्रह्माण्डों में समाया हुआ है। ये आप के दो रूप हैं। इन दोनों में श्रेष्ठ कौन सा है? कुछ लोग आपके साकार रूप की उपासना करते हैं और कुछ लोग आपके निराकार रूप की उपासना करते हैं, दोनों में श्रेष्ठ योगी कौन है।भगवान् श्री कृष्ण ने उत्तर दिया, पार्थ! जो मेरे ही सगुण साकार रूप का स्मरण करते हैं, चिंतन- बंदन, पूजन-कीर्तन करते हैं, श्रद्धा के साथ मेरी उपासना करते हैं। वे संसार के सबसे योगवित्तम हैं, वे सबसे बड़े योगी है, उनको मैं सरलता से प्राप्त हो जाता हूं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। ।।जय श्री कृष्ण।।