जम्मू-कश्मीर। जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में अधिकतर आतंकियों का सफाया होने के बाद बैखलाहट के चलते आतंकी संगठनों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। उनकी ज्यादा से ज्यादा यह कोशिश है कि वह हिट एंड रन के साथ साथ ग्रेनेड हमलों को अंजाम दें, ताकि सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचा सकें। इतना ही नहीं ऐसी घटनाओं को ओवर ग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) और हाइब्रिड आतंकियों द्वारा अंजाम दिया जा रहा है, ताकि अगर उनमें से कोई मारा या पकड़ा भी जाता है तो आतंकी संगठनों को ज्यादा बड़ा धक्का न लगे। जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह के अनुसार कश्मीर में मौजूदा शांतिपूर्ण माहौल को बरकरार रखने के लिए पुलिस आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। उन्होंने श्रीनगर में बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जो नए मॉड्यूल सक्रिय हुए हैं वह पुलिस के रडार पर हैं और उनके खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। डीजीपी दिलबाग सिंह के अनुसार श्रीनगर में करीब एक दर्जन के करीब ऐसे मॉड्यूल थे, जो पिस्तौल से हत्याओं को अंजाम देते थे, उनका सफाया किया जा चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि जब जब पुरानी टीम का सफाया होता है तो नई टीम उनकी जगह लेने की कोशिश करती है। डीजीपी ने कहा कि नई टीम की भी पहचान लगभग हो चुकी है और जल्द इनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी का भी मारा जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चिंता का विषय है। पुलिस द्वारा ऐसे लोगों को रडार पर रखा गया है। 23 अगस्त को श्रीनगर में सुरक्षाबलों को बहुत बड़ी कामयाबी हाथ लगी। पुलिस ने श्रीनगर में आतंक फैलाने वाले द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के कमांडर अब्बास शेख और उसके दो आईसी साकिब मंजूर को ड्रामाई अंदाज में मौत के घाट उतारा गया। अब्बास श्रीनगर में आतंकी भर्ती करवाने के पीछे मास्टरमाइंड था, जबकि उसके इशारे पर साकिब कई वारदातों को अंजाम देता था। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों के मारे जाने के बाद श्रीनगर में केवल तीन सक्रिय आतंकी हैं। यही कारण है कि आतंकी संगठन हाइब्रिड आतंकियों और ओजीडब्ल्यू का सहारा लेकर अलग अंदाज में अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रहे हैं। पिछले करीब एक महीने की बात करें तो पांच से अधिक ग्रेनेड हमले श्रीनगर में अंजाम दिए गए हैं हाल ही में खानयार में और उससे पहले ईदगाह में हिट एंड रन हमले अंजाम दिए जा चुके हैं, जिसमें एक-एक पुलिसकर्मी शहीद हुआ है। इन घटनाओं ने एक बार फिर से सुरक्षा एजेंसियों को सोचने पर और आतंकियों की रणनीति के अनुसार अपनी रणनीति में फेरबदल करने के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है। कश्मीर में आतंकवादी समर्थकों की बढ़ती संख्या के बारे में डीजीपी ने पहले भी यह कहा था कि पुलिस ओजीडब्ल्यू सहित आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा था कि यह ओजीडब्ल्यू ही हैं जो चुनिंदा हत्या करने के लिए पिस्तौल उठाते हैं और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाने के लिए ग्रेनेड हमले करते हैं। हम उनके खिलाफ बहुत कड़े कदम उठा रहे हैं। बता दें कि कश्मीर में हाइब्रिड आतंकियों की मौजूदगी ने सुरक्षाबलों के कान खड़े कर दिए हैं। सुरक्षाबलों के लिए यह नई चुनौती है। स्लीपर सेल की तरह के ये पार्ट टाइम आतंकी निहत्थों को निशाना बना रहे हैं। कश्मीर में हाल ही में हुईं नेताओं व पुलिसकर्मियों की हत्याओं में हाइब्रिड आतंकी शामिल थे। इन पार्ट टाइम हाइब्रिड आतंकियों को ट्रैक करने में दिक्कतें आती हैं क्योंकि ये वारदात को अंजाम देने के बाद अपने सामान्य कामकाज में लग जाते हैं। लेकिन ऐसे हाइब्रिड आतंकियों पर अब पूरी निगरानी रखी जा रही है। श्रीनगर समेत घाटी में पिछले कुछ सप्ताह में सॉफ्ट टारगेट को निशाना बनाने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। ये घटनाएं ऐसे पिस्तौल धारी युवकों की ओर से करवाई गई हैं जो सुरक्षा एजेंसियों की सूची में आतंकी के रूप में नहीं हैं। ऐसे आतंकियों को खोजना मुश्किल होता है।