राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि पार्थिव पूजा का विशेष महत्व है। न हो सके तब पादेरश्वर महादेव या स्फटिक की पिंडी ले आओ। यह भी न हो सके तब पास के किसी शिव मंदिर में जाकर नित्य पूजन कर लो। शिव मंत्र का आपको जप करना है और उनकी पूजा-करनी है। उनके पुण्य क्षेत्रों में वाशी करना चाहिए। जहां-जहां किसी ने सिद्धि प्राप्त की, जहां-जहां भगवान् शंकर अपने-अपने भक्तों को सुख देने के लिए प्रकट हुए, वे सब तीर्थ बन गए हैं। काशी आदि स्थानों पर निवास करने से परम पुण्य की प्राप्ति होती है। काशी अविमुक्त क्षेत्र कहलाता है अर्थात् इस स्थान को शंकर कभी नहीं छोड़ते। विमुक्त का अर्थ है स्वयं से अलग कर देना, अविमुक्त का अर्थ है जिसे वह स्वयं से अलग नहीं करते। जब प्रलय होती है, तब शंकर काशी को त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं, प्रलय में भी नष्ट नहीं होने देते और जब सृष्टि होती है, तब काशी को फिर स्थापित कर देते हैं।
ज्योतिर्लिंगों पर वास करने से निश्चित मुक्ति है। वहां सामान्य पुण्य भी दस गुना, हजार गुना ज्यादा फल देता है। तीर्थ में वास करते समय एक बात का विशेष ध्यान रखें कि तीर्थ में पाप न हो। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)