कुसंग से बचने का करना चाहिए प्रयास: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि” जग जप राम।” सारा जगत राम को जपता है। लेकिन भगवान् श्री राम भक्तों का नाम जपते हैं। श्री भरत लाल जी का नाम जपते हैं। भरत सरिस को रामसनेही। जग जप राम राम जप जेही।। भक्त भगवान का नाम जपते हैं और भगवान भक्तों का नाम जपते हैं। श्री भरत लाल जी भगवान् के अनन्य भक्त हैं, केवल श्री भरत जी ही नहीं जितने अयोध्यावासी श्री भरत लाल जी के साथ चित्रकूट पधार रहे हैं। सब भगवान् श्री राम के अनन्य भक्त हैं। इसीलिए देवराज विरोध नहीं करना चाहते, देवता भी पुष्प वर्षा ने लगे, बाजे बजाने लगे, रास्ता दिखाने लगे। श्री भरत लाल जी राज्याभिषेक का सामान लेकर चित्रकूट गये। और राम जी ने सौगंध उठाकर यह कह दिया कि भरत जो कहेंगे मैं वही करूंगा। फिर भी भरत लाल ने यह नहीं कहा कि प्रभु आप अयोध्या जरूर वापस चलिए। यही तो रहस्य की बात है। इसीलिए तो सत्संग का आयोजन होता है। घर बैठे रामायण पढ़ लोगे तो यह सब पता नहीं लगेगा। बिनु सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।। तबहिं होई सब संशय भंगा। जो बहु कल करिये सत्संगा।। बहुत दिनों तक सत्संग करोगे तब भगवान् में अनुराग होगा। घर में पुस्तक पढ़ करके कोई डॉक्टर बन जाता तो इतने बड़े-बड़े कॉलेज बनवाने की क्या जरूरत थी? लाख-लाख रुपया डोनेशन देने की क्या जरूरत थी? इंजीनियर घर बैठे पुस्तक पढ़कर बन जाये तो इतने बड़े-बड़े कॉलेज बनवाने की ओर दौड़ने की क्या आवश्यकता है? किताब से वह ज्ञान नहीं होगा, जो सत्संग से आपको प्राप्त होगा। इसलिए आप सत्संग करने का अभ्यास बनाइए। आदत बनाइए। अपनी गाढ़ी कमाई का कुछ रुपया निकालकर फिक्स जमा करा दीजिए और उसके व्याज से सत्संग का आयोजन करते रहिए। थोड़ा-थोड़ा भी अगर निकाल दो तो ब्याज मात्र से कथाएं होती रहें। सत्संग ही जीवन को ऊपर उठाएगा। रामायण में यह बात दावे के साथ कहीं गई है कि विश्व के इतिहास में जिस व्यक्ति को सद्गति मिली, सुबुद्धि मिली, ऊंचा पद मिला, उसके मूल में सत्संग ही कारण हो सकता है, दूसरा कोई कारण नहीं है।सत्संग का असर देर से होता है जबकि कुसंग का असर तत्काल होता है। इसलिए कुसंग से बचने का प्रयास करना चाहिए। पानी को अगर चौथी मंजिल पर ले जाना हो तो मशीन का सहारा लेना पड़ेगा। लेकिन चौथी मंजिल से नीचे गिराना हो तो कौन मशीन लगानी पड़ेगी, अपने आप गिर जायेगा। हमारा मन नीचे की ओर अपने आप जाता है। अच्छाइयों की ओर ले जाने के लिए सत्संग रूपी मशीन लगानी पड़ती है। बड़े लोगों का संग करोगे तो मन ऊपर की ओर जायेगा। इसलिए थोड़ा अच्छा काम करो, सत्संग करो। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा। (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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