जीआई टैगिंग के साथ अब ऑनलाइन मिलेगा पूर्ण शुद्धता का कश्मीरी केसर

जम्मू-कश्मीर। कश्मीर में केसर की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने इसके प्रचार के लिए नई योजनाएं शुरू की हैं। जीआई टैगिंग और प्रोसेसिंग की नई तकनीक से कश्मीर के केसर की क्वालिटी दुनिया भर में नम्बर वन पर पहुंच गई है। घाटी से केसर की बिक्री को बढ़ावा देने और प्रोसेसिंग के एकमात्र उद्देश्य के लिए एक नया केसर पार्क शुरू किया गया है, जहां केसर के सैंपल की जांच की जाती है। एक अधिकारी ने बताया कि इसकी शुद्धता को मापने के लिए ऐसे आठ मापदंड हैं, जिनपर इन नमूनों का परीक्षण किया जाता है, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। उन्होंने बताया कि इन 8 मापदंडों में से नमी, बाहरी पदार्थ और विदेशी पदार्थ और कुल राख तीन मुख्य मापदंड हैं। हम उन्हें ग्रेड देते हैं और फिर ई-ऑक्शन करते हैं। यहां उन सभी मापदंडों पर काम होता है जो कश्मीरी केसर को सर्वश्रेष्ठ ग्रेड दिलाते हैं। कश्मीर का केसर स्पेन और ईरान के केसर से बेहतर माना जाता है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. माजिद अली ने बताया कि स्पाइस पार्क के बनाने के पीछे यही मकसद था कि कश्मीरी केसर की शुद्धता बरकरार रहे। उन्होंने बताया कि केसर के फूलों को इस प्रयोगशाला में भेजा जाता है। जहां वैज्ञानिक सभी नई तकनीक से उन्हें संशोधित करते हैं और बेहतरीन गुणवत्ता बनाए रख सकते हैं। डॉ. माजिद ने कहा कि गुणवत्ता और जीआई टैगिंग के साथ सरकार उत्पादों को सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर बेच सकती है। कश्मीरी केसर का जो कम्पोनेंट है, अरोमा है वो काफी अच्छी है ईरान और स्पेन के मुकाबले। उनके अनुसार केसर की गुणवत्ता चेक करने के बाद उसे विशेष टैग दिया जाता है, ताकि खरीदार को शुद्ध कश्मीरी केसर मिले ना कि मिलावटी।

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