जीव और ब्रह्मा के विशुद्ध मिलन को कहते हैं रास: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी ने कहा कि महारास, कंस का उद्धार, उद्धव- गोपी संवाद एवं श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह। रसानां समूहः रासः।। रस आनंद को कहते हैं। ईश्वर की पूजा, आराधना में जो आनंद की प्राप्ति होती है। हम मन से, बुद्धि से, ईश्वर का जो स्पर्श पाते हैं, उसी को रास कहते हैं। जीव और ब्रह्म के विशुद्ध मिलन को रास कहते हैं। भागवत में कंस को कलियुग का स्वरूप बताया गया है। कंस के उद्धार की कथा सुनने से कलियुग के दोषों से छुटकारा मिल जाता है।जीव का ईश्वर में सहज अनुराग हो जाता है। जीव का सर्वविधि कल्याण होता है। कलियुग का सबसे बड़ा दोष है, ये अच्छे को अच्छा समझने नहीं देता और बुरे को अच्छा समझने में मजबूर कर देता है। कलियुग के दोषों की निवृत्ति होते ही जो अच्छा है वह भी समझ में आ जाता है और जो बुरा है वह भी समझ में आ जाता है। जीव बड़ी आसानी से बुराइयों से दूर होकर सत् मार्ग पर चलता है। जिससे उसका कल्याण होता है। उद्धव गोपी संवाद में भगवान् राधा-कृष्ण के प्रति विशुद्ध भक्ति भावना का वर्णन किया गया है। श्रीरुक्मणी-कृष्ण विवाह में उनसूत्रों का निरूपण किया गया है जिससे जीव ईश्वर की प्राप्ति कर सकता है। विवाह का अर्थ हैः दो शरीर एक मन। विवाह के उपरांत अधिकतर मनुष्य जीव जंतुओं की तरह जीवन बिताते हैं। विवेक से काम का नाश होता है, किंतु क्रोध का नाश मुश्किल है। विवेक से मनुष्य संसार के सारे दायित्वों का निर्वहन करते हुए ईश्वर की आराधना भी कर सकता है। विषय-चिंतन से मन जीवित रहता है और विषय त्याग से मन मर जाता है। मन को कोई आधार चाहिए। मन को प्रतिकूल विषयों से अनुकूल विषयों में ले जाओ। विषय-पीड़ा अधिक हो तो भगवन्नाम कीर्तन करो। भगवान्नाम विषय को अमृत बनाता है। विषयों के चिंतन से आत्मशक्ति का नाश होगा। विषयों को न भोगने पर भी उनके चिंतन मात्र से मनुष्य पतित होता है। विषयों से जब तक बैराग्य न आये, तब तक भक्ति का आरम्भ नहीं होता, विषयानंदी व्यक्ति को ब्रह्मानंद का आनंद समझ में नहीं आता। शम्भुूगढ़ की पावन भूमि, श्रीरामदेव बाबा मंदिर रामापीर का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में, श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा के षष्ठम दिवस भगवान् श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह की कथा का गान किया गया। कल की कथा में भक्त सुदामा की कथा का गान किया जायेगा।