पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि गोवर्धनलीलाःतत्त्वार्थचिंतन गोवर्धन लीला हुई। गो मतलब ज्ञान, गो मतलब भक्ति। ज्ञान और भक्ति का जो वर्धन करने वाली लीला है, वह गोवर्धन लीला है। इस लीला के द्वारा भगवान ने स्वयं की महिमा का ज्ञान दिया और जब भगवान् के महिमा का ज्ञान होता है, तो भगवान् में प्रेम बढ़ता है। भक्ति बढ़ती है। इस प्रकार ज्ञान और भक्ति का जो वर्धन करने वाली लीला है, वह गोवर्धन लीला है। यज्ञ विधि- भगवान् ने तीन प्रकार के यज्ञ संपन्न कराये। गोवर्धन का यज्ञ, गायों का यज्ञ और ब्राह्मणों का यज्ञ। यज्ञ में तीन बातें होती हैं। संगतिकरण, पूजन और त्याग। एक तो होता है संगतिकरण- एकत्र करना, जो एकत्र किया गया है और जिनका एकत्र किया है उनमें संवाद कायम करना। भगवान् का पूजन करना, संतों भक्तों का सम्मान करना और संत भगवंत के निमित्त त्याग करना, समर्पण करना। तो संगतिकरण, सम्मान और समर्पण।सज्जन सक्रिय बनें: दुनियां में सज्जन तो बहुत हैं। लेकिन उन सज्जनों को सक्रिय भी तो बनना पड़ेगा! सज्जनता यदि निष्क्रिय है और यह दूर्जनता सक्रिय है तो समाज में समस्या बढ़ेगी ही।बात यह नहीं है कि समाज में सज्जन नहीं है। समाज में केवल दुर्जन ही दुर्जन है यह बात नहीं है। समस्या यह है कि जो सज्जन है वे सक्रिय नहीं है और समाज को दुर्जनों की दूर्जनता से जितना नुकसान नहीं होता, उतना नुकसान सज्जनों की निष्क्रियता से पहुंचता है। तो उन सज्जनों को यदि सक्रिय बनाना है, तो उनको प्रेम पूर्वक बुलाना पड़ेगा। देवों का यज्ञ में आवाहन किया जाता है। दैवी गुण वाले जो लोग हैं, वे देव समान हैं। जो सज्जन लोग हैं उनको धर्म, समाज और राष्ट्र के कार्यों में आवाहन करो, उनको बुलाओ, उनका पूजन करो, उनका सम्मान करो और उनके प्रति समर्पित भाव से यह कहो कि आप जो कहेंगे, वह हम करेंगे। ऐसी बातें जब हम समाज में सिद्ध कर पायेंगे तो समाज में जो सज्जन हैं, सज्जनता हैं, उसका फायदा समाज को मिलेगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।