ज्ञान के भंडार हैं भगवान शिव: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवती मां जगदंबा जिस पर प्रसन्न हो जाएं, उन्हें बिना प्रयत्न के ही सब विद्या और ज्ञान प्राप्त हो जाता है। श्रीशिवमहापुराण में तीन तत्व बताए गए हैं। आत्म-तत्व, शिव-तत्व और विद्या-तत्व। विद्या-तत्व ही आत्म-तत्व और शिव-तत्व को मिलाने में सहायक होता है। जैसे दो सोने के टुकड़े को जोड़ने के लिए बीच में खोट हुआ करता है। वैसे ही जब विद्या-तत्व आपके अंदर जागृत होगा और विद्या-तत्व भगवती पार्वती की आराधना करने से, भगवान् शंकर की आराधना से यह विद्या-तत्व स्वयमेव जागृत होता है। भाव से पूजन करते रहो, श्रद्धा बनाए रखो, भोलेनाथ ज्ञान के भंडार हैं और भगवती विद्या-तत्व है। जब विद्या-तत्व आपके अंदर जागेगा, तब आत्म-तत्व और शिव-तत्व को मिलाकर एक कर देगा। जब तक भेद जागा है, तब तक आपके मन में विद्या-तत्व जागृत नहीं हुआ।

जिस दिन विद्या भगवती की कृपा हो गई, उस दिन अभेद हो गए अर्थात् आप निर्भय हो गए, आप शांत हो गए, आप सुखी हो गए, आपको पारस मिल गया, आपको सब कुछ मिल गया। आप परमात्मा के साथ एक हो गए। भजन का यही फल है। ईश्वर के साथ अभेद जागृत हो जाना। दुनियां के बड़े-बड़े ऋषि और महर्षि, सबने अंत में अभेद्य का ही निर्णय लिया है। प्रारंभ में भेद उपासना है और होनी भी चाहिए, लेकिन आज तक विश्व में जितने भी महर्षि हुए हैं, अंत में उन्होंने अभेद को जागृत किया। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,-बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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