उत्तराखंड। हरिद्वार स्थित प्राचीन मंदिर नारायणी शिला में गुरुवार को श्राद्ध करने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां कई राज्यों से लोग तर्पण के लिए पहुंचे। मान्यता है कि गया की तरह ही नारायणी शिला में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। श्रद्धालुओं ने पितरों को खुश करने के लिए कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत, दूध व जल लेकर पूजा करवाई। गुरुवार को बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और पंजाब के लोग भी श्री नारायणी शिला पर पहुंचे। शिला में पूजा-पाठ के बाद श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर गंगा में डुबकी लगाई। श्री नारायणी शिला के पुरोहित का कहना है कि पितरों के आशीर्वाद से सुख का द्वार खुलता है। पितरों को प्रसन्न करते वक्त यह ध्यान रहे कि कोई गलती न हो जाए, इससे पितर नाराज हो जाते हैं। इसलिए अमावस्या के दिन पितरों से माफी मांगते हुए गाय, पक्षियों और पंडितों को सात्विक भोजन कराना चाहिए।