नई दिल्ली। हरित रणनीतिक सहयोगी के रूप में डेनमार्क का भारत के लिए बहुत महत्व है। वह भारत का इकलौता ग्रीन स्ट्रैटेजिक पार्टनर है। दोनों देशों का सहयोग पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बहुत लाभप्रद साबित हो सकता है। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-डेनमार्क संयुक्त आयोग की बैठक के बाद कही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन से मुलाकात कर अफगानिस्तान, हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र और अन्य वैश्विक व द्विपक्षीय मसलों पर बात की। इस दौरान फ्रेडरिकसेन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विषय में जानकारी ली और सद्भावना प्रेषित की। डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में हुई संयुक्त आयोग की बैठक में जयशंकर ने कहा, पर्यावरण की सुरक्षा के लिहाज से डेनमार्क भारत का बेहद खास सहयोगी है। उसके द्वारा किए जा रहे बेहतर कार्योँ को अपनाकर भारत भी लाभान्वित हो सकता है। शनिवार को हुई इस बैठक की अध्यक्षता जयशंकर ने अपने डेनिश समकक्ष जेपे कोफोड के साथ की थी। विदेश मंत्री दो से पांच सितंबर तक स्लोवेनिया, क्रोएशिया और डेनमार्क की यात्रा पर थे। इन यात्राओं का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों का विकास करना था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत यूरोपीय यूनियन (ईयू) के साथ व्यापार-निवेश समझौते बढ़ाएगा। डेनमार्क की 200 कंपनियां भारत में काम कर रही हैं। हमारी कोशिश है कि भारतीय कंपनियों का काम भी डेनमार्क में बढ़े। हमने इस सिलसिले में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर बात की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के बीच कोविड-19 से निपटने और उसके बाद के हालात को नियंत्रित करने में भी सहयोग पर बात हुई है। विदेश मंत्री ने कहा कि महामारी के बावजूद हम यात्रा रोक नहीं सकते। ऐसा इसलिए क्योंकि पर्यटकों, छात्रों, नाविकों, विमान कर्मियों और अन्य यात्रियों को जाने-आने से हमेशा के लिए नहीं रोका जा सकता। इसलिए हमें महामारी फैलने से रोकने के उपाय करने होंगे-ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतनी होगी।