पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री खेड़ापति बालाजी दरबार बोराड़ा की पावन भूमि पर श्रीराम कथा का नवम दिवस-श्रीरामेश्वर महादेव की स्थापना, पूजन, श्रीराम सेतु का निर्माण, श्रीराम रावण युद्ध, भगवान् श्रीराम की विजय एवं श्रीराम राज्याभिषेक की कथा का गान किया गया। सत्संग के अमृत बिंदु-धन और धर्म-पसीने से भीगा हुआ पैसा ही परमात्मा को प्यारा होता है पसीना बहाकर कमाया हुआ धन ही सद्बुद्धि प्रदान करता है। लक्ष्मी को मां मानकर सत्कर्म में लगायेंगे तो वह प्रसन्न होगी। यदि उपभोग की इच्छा से उसका दुरुपयोग करोगे तो भगवती लक्ष्मी तुम्हें दंड देंगी। धन के बजाय धर्म श्रेष्ठ है। धंधा करते समय हम भगवान को न भूलें। यह शरीर ही मेरा नहीं है, तो फिर यह धन मेरा कैसे हो सकता है? यह भूलना नहीं। जिसकी बुद्धि सुवर्ण में है, वह रावण है। जिसकी बुद्धि सुकर्म में है वह राम है। धन का दुरुपयोग लक्ष्मी का अपमान है।
दुरुपयोग होने पर पैसा जहर है। सदुपयोग किया जाए तो पैसा अमृत है। पाप का पैसा तो सांप से भी ज्यादा भयंकर है, क्योंकि वह पाप करने वाले को ही नहीं उसके पुत्रों को भी कुबुद्धि का दंश देता है। धर्म की मर्यादा में रहकर धन कमाओ। मुक्ति-मुक्ति शरीर के मरने पर नहीं, मन के मरने पर प्राप्त होती है। सत्संग, सत्कर्म और संकीर्तन से प्रभु मिलते हैं। ज्ञान मार्ग त्याग की सूचना देता है, भक्तिमार्ग समर्पण चाहता है। आत्मा-परमात्मा का दिव्य रमण ही महारास है। स्त्री-पुरुष का भेद भूलने पर ही गोपी भाव जाग्रत होता है। निष्काम भाव का सेवन करके ही मुक्त हुआ जा सकता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग,
गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी वापूू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।