पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रजापति दक्ष और उनकी महारानी प्रसूति ने मां भगवती की बड़ी कठिन आराधना किया। मां भगवती ने उन्हें प्रगट होकर दर्शन दिया। दक्ष की पत्नी को संतान का संयोग हुआ, उस समय बहुत धूमधाम से उत्सव मनाया गया। दक्ष ने रीति के अनुसार पूजा की। ब्रह्मा तथा विष्णु ने भी उस उत्सव में सम्मिलित होकर दक्ष की पत्नी की स्तुति करने के पश्चात् दक्ष की प्रशंसा की। सभा समाप्त होने के पश्चात् सभी देवता अपने-अपने लोक को लौट गये।नौ महीने बीतने के पश्चात् जब दसवां महीना आरंभ हुआ, तब चारो ओर अपने आप आनंद के दृश्य प्रगट हुए। सभी मन में हर्षित थे। आकाश में बाजे बजने लगे। ऐसे परमोत्तम समय में श्री महारानी जगदंबा अवतरित हुईं। तीनों लोकों में प्रसन्नता भर गयी।
उस समय कोई मनुष्य दुःखी दिखायी नहीं देता था। तब ब्रह्मा, विष्णु तथा समस्त ॠषि-मुनि एकत्र होकर दक्ष प्रजापति के घर गये। अत्यंत प्रसन्नता के साथ बाजे बजने लगे। सब लोग देवी की स्तुति करके कहने लगे,” हे शिवा, शिव की महरानी आप संपूर्ण संसार की महरानी हो। आपकी महिमा अपरम्पार है, जिसका पार वेद भी नहीं पा सके। आप सबकी माता तथा सबको प्रसन्नता प्राप्त कराने वाली हो।” इस प्रकार हम सब विनय करके अपने-अपने स्थान को चले गये। जब दक्ष की पत्नी ने अपनी पुत्री का मुख देखा तो उसको हृदय के ज्ञान से आभास हुआ कि यह आदिशक्ति हैं तथा इन्होंने हमारे यहां अवतार लिया है। श्रीप्रसूति माता ने उस कन्या का अद्वितीय सौंदर्य देखकर पहचान गयी। तब उस देवी ने अपनी माता को अष्टभुजा महातेजस्वी,
मेघसदृश, श्याम वर्ण, नख झलकते हुए अंग अत्यंत सुडोल, परम सुंदरी, सब प्रकार के आभूषणों तथा वस्त्रों से सुशोभित तथा कानों में कुंडल, हाथों में कंकण, , कंठ में हार, माथे पर बिंदी से सज्जित शशिमुख का दर्शन कराया।” सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)