पुष्कर/राजस्थान। आज हम देखते हैं कि चारों ओर शांति छाई हुई है। लोग कहते हैं कि घर में टीसेट है, सोफासेट है, टीवी सेट है, मगर रहने वाला खुद अपसेट है। शांति नहीं है, प्रेम नहीं है। इसलिये राष्ट्र विकास संभव नहीं। प्रेम से ही यह विषमता मिट सकेगी। एकता, समरसता प्रेम से ही सिद्ध होगी। सिर्फ व्यवस्था से आप शायद समानता ला सकते हैं। किंतु समरसता संभव नहीं है। समरस होने के लिए आस्था, प्रेम, भक्ति, सद्भाव आवश्यक है। समरसता जैसी समरसता देह में है वैसी ही यदि देश में आये तो कितना सुन्दर। यदि आपस में प्रेम हो तो पराया कौन. कोई भी अलग नहीं तो विरोध किसका. इसलिये गोस्वामी श्री तुलसीदास जी महाराज कहते हैं- सिया राममय सब जग जानी। करउँ प्रणाम जोरै जुग पानी।। भक्त का लक्षण- प्रभु के लिये जो प्रेम है वही तो है भक्ति। यह प्रेम सबके लिये हो क्योंकि प्रभु तो प्रत्येक के हृदय में है न. इसलिये भक्त सबकी वंदना करता है। वह किसी का भी विरोध नहीं करता। परिवार और समाज- यदि हम परिवार या समाज में किसी के लिये बुरा कर रहे हैं और घर में ठाकुर जी की भक्ति है तो यह भक्ति नहीं है। इसी प्रकार यदि हम परिवार अथवा समाज को परेशान कर माला भी घूमाते हैं तो वह माला नहीं दिखावा है। शास्त्रों का दर्शन- मनुष्य दुःखी है। उसके दुखों का कारण है पाप्, और पाप का कारण वासना है। अज्ञान के कारण यह भटकता है। आशा सुख की करता है। परंतु कर्म ऐसे करता है। परिणाम स्वरूप दुःखी होता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।