पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सुमति कुमति सबकें उर रहहीं। नाथ पुरान निगम अस कहहीं।। जहाँ सुमति तहँ सम्पति नाना। जहाँ कुमति तहँ विपति निधाना।। हर व्यक्ति के अंदर कुमति और सुमति रहती है। कुमति और सुमति। कुमति माने अपनी जिद पर अड़े रहना और सुमति माने बड़ों की बात को मानना। जो व्यक्ति अपनी बात को ही प्रमाण मानता है। जो व्यक्ति अपनी बुद्धि के निर्णय को ही अंतिम निर्णय मानता है, ऐसा व्यक्ति समाज में कभी सफल नहीं हो सकता, बुद्धिमान व्यक्ति वो है जो बड़ों की सलाह पर चलता है। जहाँ सुमति तहँ संपति नाना। सुमति में संपत्ति है और कुमति में विपत्ति है। आपके घर में, परिवार में अगर ज्यादा अशांति है तो इसका मतलब है कि परिवार के सदस्य एक-दूसरे की बात मानते नहीं है। आपके घर में यदि एकदम शांति है तो इसका मतलब है कि परिवार के सदस्य एक-दूसरे की बात का सम्मान करते हैं। आदर करते हैं। जरा-जरा सी बात पर खींझना ये नुकसानदेह है। एक परिवार में बीसों साल से नौकर रह रहे हैं और दूसरे परिवार में एक महीने भी ठहर रहे हैं। हर महीने नौकर बदल रहे हैं। तो सारे के सारे नौकर गलत हैं या मालिक में भी कोई गलती है? एक घर में बीसों वर्षों से नौकर चले आ रहे हैं, वो परिवार में घर के सदस्य की तरह रह रहे हैं और एक दूसरे परिवार में एक महीना दो महीना से ज्यादा कोई नौकर ठहरता नहीं तो सारे नौकर गलत हैं या मालिक में भी कहीं कोई कमी होनी चाहिये। एक परिवार में चार बेटे हैं चार बहुएं आई हैं और चारों बहुओं और सासू माँ में बहुत स्नेह है और दूसरी जगह एक सासू की दो बहुएँ आई हैं, दोनों घर छोड़ के चली गई हैं, क्या मानना पड़ेगा बहुएं गलत हैं कि साथ में सासू में भी कुछ गड़बड़ी है। इस विषय पर भी विचार करना चाहिए। सब गलत नहीं हो सकते,गलती हमारे में भी हो सकती है उसमें सुधार करना चाहिए। एक परमात्मा ही ऐसे हैं जिनमें कोई कमी नहीं है। मनुष्य में कोई न कोई कमी तो होती ही है उसे स्वीकार करना सुमति है और जिद पर अड़े रहना और अपनी कमी को ही सही साबित करना यही कुमति है। एक बहू अलमारी से घी का घड़ा निकाल रही थी। भरा हुआ घी का घड़ा। मिट्टी के घड़े चलते थे पहले। उतारते ही बेचारी का हाथ फिसल गया। घड़ा नीचे गिर गया। सारा घी बिखर गया। घड़ा फूट गया। अब वो बहू रोने लगी। एक तो नुकसान हुआ, दूसरा सास भी डांटेगी, ससुर भी डांटेगे, पति डांटेगा।
ससुराल में तो कन्या हमेशा सशंकित रहती है, मुझसे कोई गलती न हो जाये क्योंकि कन्या के ऊपर तीन कुलों का भार होता है। पिता-माता और पति। अगर कन्या सफल हो गई तो तीनों कुल उज्जवल हैं और अगर गड़बड़ी हो गई तो तीनों में कलंक है।फिर स्त्री ये सोचती है कि भारतीय परम्परा में एक ही विवाह होता है, अगर पति ने किसी अपराध से छोड़ दिया तो फिर मेरा क्या होगा? सशंकित बहू रोने लगी। घड़ा गिर गया, टूट गया, फूट गया, घी बिखर गया। सास आई- बेटी क्यों रो रही है? और जोर से रो पड़ी। घड़ा गिर गया, घी बिखर गया। सास बोली- वेटी इसमें मेरी गलती थी, तू काहे को रोती है? भरा हुआ घड़ा दो को मिलकर उतारना चाहिये था, मैं आ नहीं पाई। तुझे अकेले उतारना पड़ा इसीलिए घड़ा गिर गया गलती मेरी है। तेरी कुछ नहीं। ठीक है, ठीक है। जो हो गया, हो गया आगे संभल कर काम करना है। पति आ गया, पति को मालूम पड़ा। पति ने कहा-” मेरी गलती है। भरा हुआ घी का घड़ा मैं लाया था। मुझे नीचे रखना चाहिए था, मैंने ऊपर रख दिया। अगर नीचे रखता तो ये नहीं गिरता। चलो जो होना था हो गया। ससुर जी आये, ससुर ने देखा। ससुर ने कहा की अरे बेटी हाथ से कुछ गिर जाये तो क्या करेंगे? हमारे हाथ से गिर जाये तो क्या होगा? जैसे हमारे हाथ से कभी गलती होती है, इसी तरह बहू के हाथ से भी अगर कुछ हो गया तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। बेटी, घरों में तो होता रहता है, कोई बात नहीं काम करो, आगे ध्यान दो। बहू का हृदय गद् गद् हो गया। कितना स्नेह दे रही है मुझे सासू मां। कितना स्नेह दे रहे हैं हमारे ससुर जी और पति भी मुझको कितने अनुकूल मिले हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी बड़ी परिक्रमा मार्ग गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेडा पुष्कर अजमेर राजस्थान।