राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि जो झुकता है, विनम्र होता है, उसे सभी पसंद करते हैं। सभी का सद्भाव उसे मिलता है। वह सबसे स्नेह और सहयोग पाता है। पूरी प्रकृति और परमात्मा भी उसके अनुकूल हो जाते हैं। इसी से उसका कार्य सुंदर दिखता है। विरोधी भी उसका सहयोग भले न करें परंतु बाधा नहीं बनते। झुकते वही हैं, जिनमें जान होती है। आंकड़े रहना मुर्दों की पहचान होती है।।सत् तत्व की प्रधानता से हुआ रामावतार। चिद् तत्व की प्रधानता से हुए कपिल अवतार, व्यास अवतार और आनंद तत्व की प्रधानता से हुआ कृष्णावतार। भगवान् सच्चिदानंद है। हम जीव उन्हीं के अंश हैं। इसलिए हम में भी यह 3 गुण विद्यमान हैं। क्रिया, भाव और विचार। क्रिया में है सत् तत्व, भाव में है आनंद तत्व और विचार में है चिद् तत्व- वहीं नमस्कार में भी तीन बातें हैं। दोनों हाथ जोड़ते हैं, सिर झुकाते हैं और इसमें सम्मिलित होते हैं हमारे भाव, हमारी भावना। हाथ जुड़ना होगा सत् (कर्म), शीश झुकना यानि चिद् (ज्ञान) और हृदय के भाव उड़ेलना यानि आनंद (भक्ति)। प्रभु सोने की द्वारिका बनाते हैं और उसे डुबोते भी हैं। उनकी हर क्रिया में है आनंद। उन्होंने सुवर्ण- नगरी द्वारिका का ‘ बिल ‘ नहीं बनाया। बल्कि संदेशा कहलवाया कि उसे छोड़ देना क्योंकि यह डूबेगी। कृष्ण की यह संपत्ति, कीर्ति, धन और फिर भी ये अनासक्ति। शरणागत-” प्रणतदेहिनां पापकर्षनं ” नमस्कार में ये शक्ति है। पाप और ताप (दुःख) दोनों मिट जाते हैं। हमसे जाने अनजाने पाप हो जाते हैं। भगवान् और भक्तों को प्रसन्न करने वाली जो गाथा है वही ” श्री राम कथा और भागवत कथा ” है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।