पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ कथा (सप्तम-दिवस) सानिध्य-श्री घनश्याम दास जी महाराज (पुष्कर-गोवर्धन) कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू , उद्धव की गोकुल यात्रा एवं श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह-यमुना के किनारे गये, स्नान किया यमुना में, पीतांबर धारण किया प्रभु का। वहां सब गोपियां थी, श्री कृष्ण जैसे उद्धव को देखा आश्चर्य हुआ, यह कौन है? एक गोपी ने कहा ये तो श्री कृष्ण का भेजा हुआ दूत है। एक गोपी बोली हां अब तो वे बड़े हो गये, मथुरा के राजा हो गये। अब वे क्यों आयेंगे? दूत ही भेजेंगे न! वृषभानुजा श्री राधा जी की भगवान् के जाने के बाद दो ही दशा होती है, वियोग में या तो मूर्च्छा होती है या उनमनी होती है।श्री राधा जी की मूर्च्छा अवस्था की बीती, श्रीराधा जी ने आंख खोली। गोपी ने कहा श्री कृष्ण का भेजा हुआ दूत आया है। श्री राधा जी बोली दूत कहां है? तब एक भंवरा गुन-गुन करता आया है।
भ्रमरगीत: मधुकर को देखकर श्री कृष्ण का भेजा हुआ यह दूत है ऐसा समझकर गीत गाया गोपियों ने वह है भ्रमरगीत। दशम स्कंध में पांच गीत हैं। वेणूगीत,प्रणयगीत, गोपीगीत, युगलगीत और भ्रमरगीत। यह सभी गीत गोपियों के द्वारा गाये गये हैं। जीवन में भगवान् की भक्ति आ जाय तो जीवन गीत बन जाता है। जीना अगर सीखना है, तो बांसुरी से सीख लो। लाख सीने में जख्म हो, गुनगुनाना सीख लो। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना।