समूहों का पालन करने वाले परमात्मा को कहते है गणपति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि सर्वजगमनियन्ता पूर्ण परमतत्व ही “गणपति” तत्व है क्योंकि-गणानां पतिः गणपतिः। ‘गण’ शब्द समूह वाचक होता है।-“गणशब्दः समूहस्य वाचकः परिकीर्तितः” समूहों का पालन करने वाले परमात्मा को गणपति कहते हैं। देवादिकों के पति को भी गणपति कहते हैं अथवा-महत्तत्वगणानां पति: गणपतिः। अथवा-निर्गुण सगुण ब्रह्मगणानां पतिः गणपतिः। अथवा ” सर्वविधि गणों को सत्ता स्फूर्ति देने वाला जो परमात्मा है। वही गणपति है। ऊँ नमस्ते गणपतये त्वमेव केवलं कर्तासि,त्वमेव केवलं धर्तासि,त्वमेव केवलं हर्तासि,त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि। गणपति शब्द से ब्रह्म निर्दिष्ट होता है। इसलिए गणपति तत्व की अभिव्यक्ति में मुख्यतया शास्त्र ही प्रमाण है। शास्त्रानुसार यही जाना जाता है। कि सर्वदृश्य जगत का पति ही गणपति है। गण्यन्ते बुद्धयन्ते ते गणाः। सर्व दृश्य मात्र ही गण है और इसका अधिष्ठान है वही गणपति है। यद्यपि इस पर कहा जा सकता है कि तब तो भिन्न-2 पुराणों में शिव, विष्णु, सूर्य, शक्ति आदि सभी ब्रह्म रूप से ही कहे गये हैं।

 

जबकि ब्रह्म तत्व एक ही है तो उसके नाना रूप भिन्न-2 पुराणों में कैसे पाये जाते हैं? इसका उत्तर यही है कि एक ही परम तत्व भिन्न-2 उपासकों की भिन्न-2 अभिलाषित सिद्धि के लिये अपनी अचिन्त्य लीला शक्ति से भिन्न-2 गुण गण संपन्न होकर नाम रूपवान होकर अभिव्यक्त होता है। इस प्रकार लोक में यद्यपि नर और गज का एक्य असम्मत है। तथापि लक्ष्णा से विरुद्ध धर्माश्रय भगवान् में वह समाजस्य है। अठारह पुराणों का पहला ब्रह्म पुराण है। उसमें निर्गुण एवं बुद्धि तत्व से परे श्री गणेश तत्व का वर्णन है। इसी प्रकार इसमें अंतिम ब्राह्माण्ड पुराण है। उसमें भी सगुण गणेश का महत्व प्रतिपादित है। उपपुराणों में भी पहला गणेश पुराण है। जो सगुण निर्गुण गणेश की एकता का प्रतिपादन करने वाला है। उपपुराण अपकृष्ट नहीं है। यह ठीक नहीं है। क्योंकि उपेंद्र जैसे इंद्र से अपकृष्ट नहीं है। वैसे-पुराणापेक्षया उपपुराण भी अपकृष्ट नहीं है। पुराणों में मौद्गल- पुराण अंतिम पुराण है। इसमें योगमय गणेश का माहात्म्य प्रतिपादित है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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