पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि शिव भक्त के समक्ष विपत्ति ठहर नहीं सकती श्रीशिवमहापुराण में स्पष्ट लिखा है कि- कभी भजन करने वाला व्यक्ति भी दुःखी नजर आता है और पाप करने वाले, भगवान् की आलोचना करने वाले, सुखी नजर आते हैं, इसे पूर्व जन्म का प्रारब्ध मानना चाहिए। भजन करने वाला दुःखी नहीं हो सकता, यह सिद्धांत है। यदि भजन करने वाला दुःखी नजर आ रहा है, तब यह पूर्व जन्म का कोई पाप कर्म है जो प्रारब्ध में आ चुका है और वह भोगकर ही कटेगा। शंकर भक्तों के सामने बड़ी विपत्ति दिखाई देगी, लेकिन उसके पास आते-आते छोटी बनकर निकल जाएगी। भोले शंकर के भक्त सामने विपत्ति नहीं आएगी। भगवान् शंकर से देवता भी डरते हैं। उनका नाम ही महामृत्युंजय है। वे सबके ईश्वर हैं। भगवान शंकर के अनेक अवतारों में एक भिक्षुवर्यावतार हुआ।
विदर्भ देश के एक सत्यरथ नाम के राजा थे, उनकी पत्नी पतिव्रता थी, दोनों शिव भक्त थे। धर्म पूर्वक राज्य का संचालन कर रहे थे। शाल्वदेश के राजाओं ने विदर्भ देश पर आक्रमण कर दिया, भयानक युद्ध हुआ। युद्ध में सत्यरथ की मृत्यु हो गई। महारानी जी बालक के साथ महल छोड़कर, बालक की रक्षा के लिए वन में गयीं , जलाशय में ग्राह ने पैर पकड़ लिया और वह भी समाप्त हो गयीं। अनाथ बालक सरोवर के तट पर था। भगवान् शंकर की प्रेरणा से एक भिक्षुणी वहां गई और शिव की प्रेरणा से ही उस बालक का लालन-पालन हुआ। भगवान शंकर का यह भिक्षुवर्यावतार कहलाता है। भगवान् शंकर ने कहा देवी तुम बच्चे को ले जाओ, इसने पूर्व जन्म में गलती की थी, उसका इसे अनाथ स्थिति के रूप में फल मिल चुका है। लेकिन पूर्व जन्म में मेरे भजन के फलस्वरूप कुछ समय बाद यह राजा बनेगा। तुम अपने पुत्र एवं इस अनाथ बालक दोनों का पालन पोषण करो, ब्राह्मणी ने दोनों का यज्ञोपवीत संस्कार कराया।
दोनों का पालन पोषण किया।एक दिन दोनों नदी में स्नान करने गए, ब्राह्मण कुमार को अशर्फियों से भरा हुआ सोने का घड़ा मिल गया। राजकुमार को गंधर्व के राजा ने देखा और प्रसन्न होकर अपनी कन्या से उसका विवाह कर दिया। कन्या ब्याहने के बाद सहयोग दिया और राजकुमार ने अपने शत्रुओं पर आक्रमण कर दिया और भगवान् शंकर की कृपा से विदर्भ राज के सिंहासन पर विराजमान हुआ। बहुत समय तक सुख भोगा और अंत में शरीर त्याग कर शिवलोक पधार गये। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।