हिमाचल प्रदेश। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस मंडयाली धाम के कायल हैं, वह औषधीय गुणों से भरपूर आयुर्वेदिक आहार है। धाम पकाने और परोसने में वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। टौर के हरे पत्ते से बनी पत्तलों में परोसने पर फूड वैल्यू बढ़ती है। जिस क्रम में धाम को परोसा जाता है, उससे खाना शुरू से अंत तक संतुलित रखता है। क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान फॉर न्यूट्रीशिनियल डिसऑर्डर मंडी अपने शोध में यह खुलासा कर चुका है। मंडयाली धाम बनाने की विधि का अब पेटेंट के साथ उसकी जीआई टैगिंग होगी। मंडयाली धाम में शुरुआत मीठे बदाणा से होती है। आयुर्वेद के अनुसार खाने के बाद मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है, जिससे खाने के बाद पेट में जलन या एसिडिटी नहीं होती है। उसके बाद सेपू बड़ी, कद्दू खट्टा, कोल का खट्टा, दाल और झोल खाने को शुरू से अंत तक संतुलित रखता है। अंत में दिया जाने वाला दही का झोल क्लींजिंग एजेंट का काम करता है और पाचन को बढ़ाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिला मंडी से दिल के नाते की बानगी वैक्सीन संवाद में भी देखने को मिली। मंडी के थुनाग क्षेत्र की बहलीधार ग्राम पंचायत के दयाल सिंह के साथ हुए सीधे संवाद में प्रधानमंत्री का मंडी जिले और मंडीवालों से दिली लगाव साफ झलक रहा था। अपनेपन के एहसास के जिक्र में मंडयाली धाम के स्वाद को याद करना नहीं भूले। प्रधानमंत्री बोले उनका मंडी आना जाना रहा है। मंडी वालों से बात करना अच्छा लगता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे मंडियाली धाम ‘मिस’ करते हैं। वह मन में मंडी प्रवास की अपनी पुरानी यादों को संजोये हुए बोले-‘अब भी मंडयाली धाम का स्वाद वैसा ही रहता होगा।