मनुष्‍य वृत्ति और प्रवृत्ति से बने साधु: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। अध्यात्म के मंदिर में यौवन में ही प्रवेश करना चाहिये। क्योंकि यौवन खिला हुआ गुलाब है, जीवन का बसंत है। वृद्धावस्था का अनुभव संपन्न, उत्साह पूर्ण मानव जीवन रूपी गुलाब भगवान् को भेंट करना चाहिये। बचपन का निर्मल मन से युक्त जीवन रूपी पुष्प भगवान को समर्पित करना चाहिये। “जब जग जाय तभी सवेरा” परमात्मा की शरणागति सबके लिये कल्याणकारी है। जब भी जागृति आवे, ईश्वर में प्रेम जगे तो जरूर हरि शरण लेना चाहिये। जीवन का खिला हुआ गुलाब प्रभु को समर्पित करने में ही सच्ची भक्ति है और सच्चा प्रेम है। दो नदियां जहां मिलती हैं उसको हम संगम कहते हैं, प्रयाग भी कहते हैं। हमारे देश में ऐसे कई प्रयाग हैं। गंगा,यमुना, सरस्वती त्रिवेणी संगम जहां होता है वहां प्रयाग होता है। हमारे यहां देव प्रयाग है, नंद प्रयाग है, कर्ण प्रयाग है, ऐसे प्रयाग स्थल पर स्नान करने से पुण्य मिलता है। अपने जीवन में अध्यात्म का प्रयाग निर्माण करिये। शक्ति और समझ का जिनमें प्रयाग, संगम होगा ऐसे व्यक्ति योगी होंगे। उनके पास बैठना प्रयाग में स्नान करने जैसा पुण्यशाली है। सबका जीवन प्रयाग बने ऐसी प्रभु से प्रार्थना है। दुकान को मंदिर की तरह चलाओ।मेरी दुकान में प्रभु विराजमान है। मैं ग्राहक के साथ कैसा व्यवहार करता हूं, मेरे ठाकुर देख रहे हैं। नीति पूर्वक व्यापार करें। दुकान को मंदिर की तरह चलाओगे तो तुम्हारा कल्याण होगा। साधु बनने का अर्थ साधु चरित्र बनें। तुम वृत्ति और प्रवृत्ति से साधु बनो। गीता कर्तव्य बोध कराती है। गीता जगाती है। गीता के गायक श्री कृष्ण जगद्गुरु हैं। भगवान् श्री कृष्ण भगवत गीता के माध्यम से संपूर्ण संसार के कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करते हैं। गीता केवल हिंदुओं के लिए नहीं है। गीता विश्व की मानवता के लिए है। गीता में एक भी जगह हिंदू शब्द नहीं है। हमारा हिन्दू धर्म सनातन धर्म है। सत्य से संबंधित धर्म है। सत्य तो सनातन होता है। सत्य सनातन धर्म की जय, इस प्रकार लोग जयघोष करते हैं। प्रत्येक मानव के भीतर अज्ञान भी छिपा हुआ है तो भीतर के अज्ञान को नियंत्रित करने के लिये भीति की जरूरत है और भीतर के इंसान को जगाने के लिये प्रीति की जरूरत है। इसलिये दोनों चाहिए प्रीति भी और भीति भी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन श्री दिव्य घनश्याम धाम गोवर्धन से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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