नई दिल्ली। नृत्य शारीरिक व्यायाम के रूप में तो पहले से ही काफी लोकप्रिय है, लेकिन अब इसका मानसिक रोगों के इलाज के लिए थेरैपी के रूप में भी इस्तेमाल होने लगा है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है, उन्हें अपने शोधों में नृत्य और झूमने जैसी शारीरिक क्रियाओं से अवसाद, घबराहट घटाने और मनोवैज्ञानिक ‘जख्म’ को भरने में भी सफलता मिली है। यही वजह है कि अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में आने वाले शरणार्थी इस डांस थेरैथी का खूब लाभ उठा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इन दिनों अफगानिस्तान से विस्थापित हो रहे लोगों के लिए भी यह काफी कारगर सिद्ध हो सकती है। 23 क्लीनिकल शोधों से पता चला है कि नृत्य और हिलने-डुलने की थेरैपी मनोवैज्ञानिक रोग वाले बच्चों, वयस्क और बुजुर्ग मरीजों को ठीक करने का प्रभावी हो सकती है। साथ ही, स्वस्थ इंसान भी इसे अपनाकर स्वास्थ्य लाभ ले सकता हैं। डांस थेरैपी मनोरोगियों में अन्य लक्षणों के मुकाबले घबराहट को कम करने में प्रभावी रही है। वायने स्टेट यूनवर्सिटी, डेट्रॉयट (अमेरिका) में पीएचडी छात्र और स्नातक रिसर्च फेलो लाना रुवोलो ग्रासर ने नाचने-झूमने पर आधारित थैरेपियों का तनाव व अवसाद को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया है, जिनके सकारात्मक परिणाम मिले हैं। उनका कहना है, शरीर में खास तरीके से हलचल की प्रवृत्ति बहुत पुरानी है लेकिन मानसिक स्वास्थ्य उपचार को लेकर नृत्य चिकित्सा जैसी रणनीतियों पर पिछले कुछ वर्षों से ही ध्यान दिया जाने लगा है। ग्रासर कहती हैं, मैं खुद एक नर्तकी हूं और मैंने नाच-झूमकर होने वाली भावनात्मक अभिव्यक्ति को अविश्वसनीय रूप से मानसिक इलाज में उपयोगी पाया है। खासतौर पर जब मैं हाई स्कूल और कॉलेज में चिंता और अवसाद का अनुभव करती थी, तब यह काफी मददगार रही। ग्रासर के मुताबिक, 2017 में उनकी लैब ‘स्ट्रेस ट्रॉमा एंड एंजाइटी रिसर्च क्लिनिक’ ने अफ्रीकी शरणार्थी परिवारों को मानसिक तनाव से बाहर निकालने की मुहिम के तहत इस थेरैपी की शुरुआत की थी। यह लोगों के लिए न सिर्फ अच्छी-बुरी भावनाओं और यादों को अभिव्यक्त करने का जरिया बनी, बल्कि इससे उन्हें तनाव दूर कर जीवनपर्यंत सकारात्मक दिशा भी मिली।