पुष्कर/राजस्थान। भक्तिमती श्री मीराबाई जी ने इस कराल कलिकाल में गोपियों के समान श्री कृष्ण प्रेम को अपने में प्रगट करके उसका दूसरों को भी दर्शन करा दिया। स्वच्छंद और निडर होकर रसिकशेखर श्री राधा श्याम सुंदर के सुयश को गाया। दुष्टों ने इस प्रकार भक्ति को अनुचित माना और सोच-विचार कर इनकी मृत्यु का उपाय किया। इन्हें पीने के लिए विष दिया, उसे ये अमृत की तरह पी गईं ।भगवान की कृपा से आपका बाल भी बांका नहीं हुआ। आपने बिना किसी लोक लज्जा और संकोच के कुल मर्यादा के बेड़ी-बंधनों को त्याग कर श्री गिरधर गोपालजी का भजन किया।
सत्संग के अमृतबिंदु- दुःखी प्राणियों के प्रति दया करने से परअपकार रूप चित्त का मल नष्ट होता है। मनुष्य अपने कष्टों को दूर करने के लिए किसी से भी पूछने की आवश्यकता नहीं समझता, भविष्य में कष्ट होने की संभावना होती है। पहले से उसे निवारण करने की चेष्टा करने लगता है। यदि ऐसा ही भाव जगत के सारे दुःखी जीवों के साथ हो जाय तो अनेक लोगों के दुःख दूर हो सकते हैं। दुःख पीड़ित लोगों के दुःख दूर करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देना की प्रबल भावना से मन सदा ही प्रफुल्लित रह सकता है।
धार्मिकों को देखकर हर्षित होने से मिथ्या दोषारोपण नामक मन का आसूया मल नष्ट होता है, साथ ही धार्मिक पुरुष की भांति चित्त में धार्मिक वृत्ति जागृत हो उठती है। आसूया के नाश से चित्त शांत होता है। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि- कल की कथा में श्री रामरयन जी, श्री भक्त शिरोमणि श्री किशोर जी की कथा का गान किया जायेगा। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।