पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि मां भगवती से प्रार्थना करें कि हमारे मन में परमात्मा के प्रति, मां जगदम्बा के प्रति भाव जागे, हम मां का, भगवान का भजन करें। भजन तब ही होगा, जब आप सत्संग करेंगे- यह बात सदैव याद रखें, दही से माखन तभी निकलेगा, जब मथानी से मंथन किया जायेगा। दही लाख वर्ष सुरक्षित रख लिया जाये, लेकिन बिना मंथन के माखन नहीं निकलेगा। इसी प्रकार जब तक आप सत्संग करके विचार नहीं करेंगे, तब तक विवेक नहीं जागेगा, भजन की और आपकी प्रवृत्ति ही नहीं होगी। यदि भजन का दीपक जलते देखना है, भक्ति का दीपक जलते देखना है, तब सत्संग रूपी तेल डालते रहना और स्वयं को कुसंग की हवा से बचा कर रख लेना। जो कुसंग की हवा से स्वयं को बचा लेते है और सत्संग का तेल डालते रहते हैं। उनके भजन का दीपक सदैव जलता रहता है, सदा ही जलता रहता है। दीपक जला दिया, तेल और घी आपने डाला नहीं, पंखा चल रहा है और कांच से उसे ढका नहीं, दीपक बुझ जायेगा। कुसंग की हवा है, सत्संग का तेल है और भजन का दीपक है। हमारे जीवन में हमसे सदा भजन होता रहे, इसका उपाय यही है कि सत्संग करते रहना और कुसंग से स्वयं को बचा कर रखना। हमें तो बस भजन करना है, घर के प्रति मोह कम करना ही पड़ेगा। गुरु और संत के कहने पर मोह नहीं छोड़ेंगे तो यम के डंडे खाकर छोड़ना पड़ेगा। अपनी इच्छा से छोड़ने पर पीड़ा कम होगी। जहां अटैचमेंट होगा, वहां दुःख होगा ही। घर से अटैचमेंट होने पर जब यम के दूत डंडे मारते हुए तुम्हें निकालेंगे, तब खुशी होगी कि दुःख होगा? और घर पहले ही छोड़कर वृंदावन या हरिद्वार बैठ जाने से मृत्यु के समय घर छोड़ने का दुःख नहीं होगा, क्योंकि घर हमने पहले ही छोड़ दिया है। भजन करने का मन बनाओ और मन तभी बनेगा, जब सत्संग होता रहेगा। परमार्थ की बातें सदैव सुनते रहना। ये बीज है, जो एक बार तुम्हारे मन में पड़ जाने पर कभी न कभी अंकुर जरूर होंगे, पल्लवित होंगे और फलित होंगे। जो बीज खेत में पड़ गये हैं, पानी मिलते ही वे अंकुरित हो जाते हैं। इसी प्रकार संतो के उपदेश रूपी शब्द के बीज हैं, जो तुम्हारे मन रूपी भूमि पर पड़ गये हैं और जब उपयुक्त समय आता है, तब वे भक्ति और वैराग्य के रूप में अंकुरित हो जाते हैं। संत का उपदेश व्यर्थ नहीं जाता, यह बात हमेशा ध्यान रखना चाहिए, सत्संग सुनते रहना भी एक तप,भक्ति और स्वाध्याय है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला अजमेर (राजस्थान)।