नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जन्मतिथि में बदलाव का आवेदन सिर्फ प्रासंगिक प्रावधानाें के तहत किया जा सकता है। इसके अलावा ठोस सुबूत होने के बावजूद इस पर अधिकार का दावा नहीं किया जा सकता। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि आवेदन में देरी की स्थिति में इसे खारिज किया जा सकता है। खासतौर पर तब जब कर्मचारी की सेवाएं खत्म की जा रही हों या फिर उसकी सेवानिवृत्ति की उम्र करीब हो। जन्मतिथि में बदलाव का आवेदन सिर्फ लागू प्रावधानों या विनियमों के अनुसार ही हो सकता है। पीठ कर्नाटक ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास लिमिटेड की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई जिसमें कर्मचारी को जन्म तिथि बदने की अनुमति दी गई थी।