पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्रीरामकथा में जहां प्रभु श्रीराम का मंगलमय चरित्र गाने सुनने को मिलता है, वहीं हमारे आपके जीवन के लिए भी बृहद शिक्षा मिलती है। विशाल शिक्षा मिलती है। श्रीरामचरितमानस के जो सात सोपान है वे मानव जीवन में भी दिखाई पड़ते हैं।शिशु अवस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था। सुंदरकांड भक्ति का सोपान है।
जिसके जीवन में ईश्वर की भक्ति आ जाती है उसके जीवन के सारे सोपान सुंदर हो जाते हैं। सुंदरकांड हनुमत् उपासना का सोपान है जिसे श्री हनुमान जी महाराज को प्रसन्न करना है,
श्रीहनुमान जी की कृपा का विशेष पात्र बनना है, उसके लिए सुंदरकांड पाठ अत्यंत श्रेष्ठ है। कई ग्रह गोचर ऐसे हैं जो मनुष्य के जीवन में विघ्न बाधाएं पहुंचाते हैं, सुंदरकांड के पाठ से सब अनुकूल हो जाते हैं। जय श्री सीताराम।