जम्मू-कश्मीर। कश्मीर घाटी में टारगेट किलिंग के बाद हाइब्रिड आतंकियों और संदिग्धों की पहचान के लिए चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक लाने की तैयारी की जा रही है। इसे लेकर श्रीनगर नगर निगम से बात की गई है। इसके लिए फेशियल रेकोग्नीशन टेक्नोलॉजी (एफआरटी) लाई जाएगी। इससे सीसीटीवी में कैद होने वाले संदिग्धों की पहचान करने में आसानी होगी। उक्त तकनीक के तहत पुलिस के पास एक डाटाबेस भी होगा, जिससे इनकी पहचान की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि श्रीनगर से शुरूआत की जाएगी। इसके बाद पुलवामा, शोपियां, कुलगाम आदि में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है।इस तकनीक के तहत हाई रेजोल्यूशन वाले कैमरे लगाए जाते हैं। एक बायोमीट्रिक सेटअप बनाया जाता है। कैमरों से खींची गई तस्वीरों या वीडियो में दिखने वाले शख्स को बायोमीट्रिक सेटअप के जरिए इस्तेमाल किया जाता है। इस सिस्टम में पुलिस अपराधियों, आतंकियों और संदिग्धों की पहचान कर सकती है। सी के पकड़े जाने के बाद यदि उस पर शक हुआ तो कैमरे से खींची गई तस्वीर या वीडियो के साथ पकड़े गए संदिग्ध की मैचिंग करवाई जाएगी। इससे पता चल जाएगा कि तस्वीर या कैमरे में दिखने वाला पकड़ा गया शख्स ही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस और श्रीनगर नगर निगम मिलकर इस तकनीक के लिए प्रयास कर रहे हैं। सेंट्रल कश्मीर के डीआईजी सुजीत कुमार का कहना है कि इसे लेकर श्रीनगर नगर निगम से बात की गई है। जल्द ही इस पर काम शुरू करेंगे। गौरतलब है कि इस समय पुलिस किसी व्यक्ति की तस्वीर या वीडियो की पहचान के लिए उसे गुजरात की एफएसएल और चंडीगढ़ की एफएसएल के पास भेजती है। नई तकनीक आने से त्वरित जांच हो सकेगी।