हृदय को शुद्ध करने के लिए सुननी चाहिए भागवत कथा: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यथा यथाऽऽत्मा परिमृज्यतेऽसौ, श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं- उद्धव, अनादिकाल की वासना से हृदय में मैल जम गई, वासना की बहुत जबरदस्त पर्तें लग गई हैं। आपने देखा होगा तीर्थगुरु श्री पुष्कर राज में जब सरोवर की सफाई नहीं हुई थी, उसके पहले उसमें कितनी काई जमी हुई थी, क्योंकि सरोवर में सतह पर नीचे मिट्टी जमा हुआ था, इसीलिए वहां काई पैदा कर रहा था। कीचड़ काई को पैदा कर रहा था, जल को ढंक रहा था।

सफाई करके जब कीचड़ बाहर कर दिया गया तो काई खत्म हो गई। इसी तरह से हमारा हृदय है। बहुत दिनों से जिस सरोवर की शुद्धि नहीं होगी, उसमें कीचड़ और फिर घास तो आ ही जायेगी। भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं- उद्धव, करोड़ों-करोड़ जन्म हो चुके हैं जीव के, विषयों का, भोगों का, सेवन करते हुए और चिंतन करते हुए। विषयों का सेवन और चिंतन करते-करते मनुष्य का हृदय मलिन हो चुका है, अब वह मेरा ध्यान करता है तो मेरी स्पष्ट मूर्ति उसके हृदय में नहीं आती। उद्धव ने पूछा- भगवन् आपका यह दिव्य स्वरूप भक्तों के हृदय में कैसे प्रकट हो ? भगवान् ने कहा कि मेरी कथा जो सुनता रहेगा और कथा भी किससे सुनें?कथा भी रसिकों से सुनें। मेरी कथा उन रसिकों से सुनें, जिसके श्रवण मात्र से हृदय पिघल जाये। ‘मत्पुण्य गाथा श्रवणाभिधानैः ‘ ज्यों-ज्यों कथा सुनता जायेगा, हृदय उसका धुलता जायेगा, साथ-साथ नाम भी जपता जाये। नाम जपना और कथा सुनना, ये दोनों काम साथ-साथ करें। ज्यों-ज्यों हृदय धुलता जायेगा, त्यों-त्यों मेरा स्वरूप भक्त के हृदय में चमकदार प्रकट होता चला जायेगा। पूर्ण हृदय शुद्ध हो जायेगा तो जैसे निर्मल नेत्रों से सूर्यनारायण दिख जाते हैं, जैसे शीशे में अपना स्वरूप दिखता है, इसी तरह हृदय में भक्त को भगवान् दिखाई दिया करते हैं। यह बात भगवान् श्रीकृष्ण ने स्वयं कही है। हृदय को शुद्ध करने के लिए भागवत की कथा सुनते रहो, एक बार नहीं अनेक बार।

जीव बहुत अभागा है। दस रूपये के लाभ के लिये दस काम छोड़कर भागता है और जहां अरबों खरबों का लाभ होना है, वहां आधा घंटा भी काम छोड़कर नहीं आता। यह दुर्भाग्य ही है न! जिसके हृदय में पैसे की जितनी कीमत है, परमात्मा की उतनी कीमत उसके हृदय में नहीं है। जिस दिन इसके हृदय में पैसे जितनी कीमत परमात्मा की हो जायेगी उसी दिन ईश्वर का अनुभव होना शुरू हो जायेगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा,(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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