नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे के दौरान कई मुद्दों की नींव रख दी है। कूटनीति के शब्दों में कहें तो इस पर बनने वाली इमारत बाद में बुलंद दिखाई देगी। संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन, क्वॉड देशों के शिखर सम्मेलन, द्विपक्षीय नेताओं के साथ बैठक, ग्लोबल कोविड-19 समिट सहित सभी मोर्चों पर प्रधानमंत्री अपनी छाप छोड़कर आए हैं। उन्होंने इशारों-इशारों में बिना चीन का नाम लिए उसे धो दिया है। लोक कहावत में कहें तो चीन के 5-जी कार्यक्रम पर हम बोलकर पड़ोसी देश के मर्म को छेड़ आए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वक्तव्य में 5-जी नेटवर्क, इससे उपजने वाली सुरक्षा चिंताओं पर दुनिया के देशों का ध्यान आकर्षित किया है। विदेश मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा में राष्ट्राध्यों ने भी बहुत गंभीरता से लिया है। हालांकि आतंकवाद, अफगानिस्तान और अफगानिस्तान में पाकिस्तान के बढ़ रहे दखल के मामले में दुनिया के देश अभी किसी सर्व सम्मत स्थिति में नहीं आ पा रहे हैं। अमेरिका से लौटे सूत्र भी मानते हैं कि वाशिंगटन के अपने हित हैं। इसी तरह से कुछ देशों के अपने हित हैं। इसके कारण अभी आतंकवाद और अफगानिस्तान पर स्थिति साफ होने में समय लग सकता है। सूत्रों का कहना है कि अभी भारत की भी पूंछ दबी हुई है। हमें भी अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकालना है या आगे के हितों को देखते हुए एक नतीजे पर पहुंचना है।