जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने ली समाधि, पीएम मोदी बोले- उनके अमूल्य योगदान को पीढ़ियां रखेंगी याद

Acharya Vidyasagar Maharaj: विश्‍व प्रसिद्ध जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ब्रम्‍हलीन हो गए है. उन्‍होनें छत्‍तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरी तीर्थ पर 17 फरवरी, शनिवार को रात करीब ढाई बजे अंतिम सांस ली. जानकारी के मुताबिक, आचार्य विद्यासागर महाराज पिछले कई दिनों से अस्वस्थ थे. पूर्ण जाग्रत अवस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए तीन दिन का उपवास लिया था. इसके बाद उन्होंने शनिवार देर रात समाधि (देह त्याग) ले लिया.  

Acharya Vidyasagar Maharaj: पीएम मोदी ने जताया शोक

विश्‍व प्रसिद्ध जैन मुनि विद्यासागर महाराज के समाधि (देह त्‍याग देने पर) लेने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है. प्रधानमंत्री ने एक्‍स पर ट्वीट करते हुए लिखा कि मेरे विचार और प्रार्थनाएं आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के अनगिनत भक्तों के साथ हैं. आने वाली पीढ़ियां उन्हें समाज में उनके अमूल्य योगदान के लिए याद रखेंगी. पीएम मोदी ने कहा कि आध्यात्मिक जागृति के उनके प्रयासों, गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और अन्य कार्यों के लिए उन्हें याद रखा जाएगा.

पीएम पीएम ने कहा कि मुझे वर्षों तक उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का गौरव प्राप्त हुआ. मैं पिछले वर्ष के अंत में डोंगरगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर की अपनी यात्रा को कभी नहीं भूल सकता. उस समय मैंने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के साथ समय व्‍यतीत किया था और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया था. वहीं, बीजेपी के बैठक में जेपी नड्डा ने भी शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.

Acharya Vidyasagar Maharaj: आरएसएस ने भी दी विनम्र श्रद्धांजली

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर ने भी विद्यासागर महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की है. उन्होंने कहा है कि पूजनीय जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने आज प्रातः अपने शरीर को त्याग दिया. उनके पवित्र जीवन को शत-शत नमन एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से विनम्र श्रद्धांजली.

Acharya Vidyasagar Maharaj: समाधि से पहले आचार्य पद त्यागा

जैन मुनि विद्यासागर महाराज ने समाधि से पहले मौन व्रत भी ले रखा था. देर रात करीब 2:35 बजे आचार्य ब्रहमलीन हो गए. उनके निधन की खबर फैलते ही जैन समाज के लोग डोंगरगढ़ पहुंचने लग गए हैं. बताया जा रहा है कि निधन से 3 दिन पहले ही महाराज जी ने आचार्य पद को त्याग दिया था और उन्होंने मौन धारण कर लिया था.

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