जम्मू-कश्मीर। जम्मू-कश्मीर में कृषि भूमि के गैर कृषि गतिविधि में इस्तेमाल के लिए नई गाइडलाइन जल्द जारी होगी। देश के दूसरे प्रगतिशील राज्यों के नियमों का अध्ययन कर जम्मू-कश्मीर में भी नियमों में बदलाव किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने इसके लिए एक माह का समय निर्धारित किया है। मुख्य सचिव डॉ. अरूण मेहता ने राजस्व विभाग और राजस्व बोर्ड के अधिकारियों से उच्च स्तरीय बैठक में निर्देश दिए कि तमाम हितधारकों से चर्चा और दूसरे राज्यों के राजस्व मॉडल की समीक्षा कर एक माह के भीतर नई गाइडलाइन जारी की जाए। अधिकारियों से कहा गया है कि प्रदेश में अब नई कानून व्यवस्था लागू है। राजस्व अधिनियमों में भी व्यापक बदलाव हुआ है। जम्मू-कश्मीर में गैर कृषि गतिविधियों के लिए कृषि भूमि के इस्तेमाल के नियमों में आम आदमी के लिए सरलता और स्पष्टता लाए जाने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा यह भी कहा गया कि दूसरे राज्यों की व्यवस्था जांचने के बाद कृषि भूमि के पैमाने पर भी निर्णय लिया जाए। हालांकि इसमें पर्यावरण, सतत विकास और खाद्य सुरक्षा के पहलुओं का विशेष ध्यान रखना होगा। बैठक में राजस्व विभाग के वित्त आयुक्त विजय कुमार, कानून, न्याय और संसदीय मामलों और आवास एवं शहरी विकास विभाग के प्रशासनिक सचिवों को मुख्य सचिव ने 25 दिसंबर 2021 तक जिला उपायुक्तों के लिए निर्देशावली जारी करने को कहा। जम्मू-कश्मीर में कृषि भूमि का अंधाधुंध वाणिज्यीकरण हो रहा है। खेतों को प्लॉट बनाकर बेचा जा रहा है, जिस पर आवासीय कालोनियां बन रही हैं। इसी तरह से कृषि भूमि पर आवास के अलावा व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बन रहे हैं, जिसकी राजस्व अधिनियम में मनाही है। पिछले दिनों ही सांबा जिले की विजयपुर सब डिवीजन में जमीनों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई। यहां कृषि भूमि पर अनधिकृत आवासीय कालोनियां बनाने की सूचनाएं थीं।