काबुल। लंबे समय से आतंक का पर्याय बने अलकायदा सरगना 71 वर्षीय अयमान अल जवाहिरी अफगानिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया। यह दावा अमेरिका का है और राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसकी पुष्टि करते हुए यह भी कहा है कि अब न्याय हुआ है। विगत 11 सितम्बर 2001 में अमेरिका पर हुए हमले में जवाहिरी की गणना मास्टर माइण्ड के रूप में की जाती है। इस हमले में लगभग तीन हजार लोगों की मौत हुई थी।
जवाहिरी पर अमेरिका ने 25 मिलियन डालर (197 करोड़ रुपये) का इनाम रखा था। वर्ष 2011 में पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन की अमेरिकी हमले में हुई मौत के बाद जवाहिरी अलकायदा का सरगना बन गया था। लगभग 11 वर्षों के अन्तराल के बाद जवाहिरी को मौत के घाट उतारने में अमेरिका को सफलता मिली।
31 अगस्त 2021 को अमेरिकी सेना के हटने के बाद अफगानिस्तान में अलकायदा पर अमेरिका का यह पहला ड्रोन हमला है। बहुत ही गोपनीय ढंग से इस हमले को अंजाम दिया गया। सर्जन से विश्व का सबसे बड़ा आतंकी सरगना बने जवाहिरी का मारा जाना एक बड़ी घटना है, क्योंकि पूरा विश्व आतंकवाद से ग्रसित है। जवाहिरी को मारना कोई आसान बात नहीं थी, क्योंकि उसका ठिकाना लम्बे समय से रहस्य बना हुआ था।
2020 में यह भी अफवाह फैली कि जवाहिरी की बीमारी से मृत्यु हो गई, जबकि वास्तविकता यह थी कि वह अफगानिस्तान में रह रहा था और स्वतंत्र रूप से संवाद भी करता था। बिना किसी धमाके और गोलीबारी के उसे मारा गया। ऐसा अनुमान है कि अमेरिका ने इसके लिए गुप्त हथियारों का इस्तेमाल किया था।
अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि 31 जुलाई को सुबह जवाहिरी काबुल स्थित आवास की बालकनी पर अकेले खड़ा था तभी ड्रोन से हमला किया गया। एक चिन्ता की बात यह भी है कि अफगानिस्तान पर तालिबानियों के कब्जे के बाद वह आतंकियों की शरणस्थली बन गई है। यह पड़ोसी देशों के लिए बड़ा खतरा है।